लखनऊ (जनमत) :- हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित राज्यपाल भवन में शिव प्रताप शुक्ला ने 22वें राज्यपाल के रूप में शपथ ली और इसी के साथ ही हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपाल के रूप में पदस्थ हो गएँ. वहीँ ख़ास बात ये रही कि इनकी ये शपथ संस्कृत भाषा में ली गयी है. गौरतलब है कि साल 2019 में हिमाचल प्रदेश सरकार ने संस्कृत भाषा को दूसरी राजभाषा के रूप में शामिल किया है. इन्हें हिमाचल प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य की जिम्मेदारी मिलना भी बेहद अहम् माना जा रहा क्योंकि यहाँ पिछले वर्ष हुए चुनाव में सत्ता परिवर्तन हुआ है। ऐसे में राज्यपाल की भूमिका भी बेहद अहम होने वाली है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरुआत करने वाले शिव प्रताप शुक्ला मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भी रह चुके हैं. इनका जन्म 1 अप्रैल 1952 को रुद्रपुर में हुआ था और शिक्षा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर से पूरी हुई है. साल 1968 में शिव प्रताप शुक्ला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. इनके राजनितिक जीवन की शुरवात सबसे पहले गोरखपुर विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़कर शुरू हुई थी और आज राज्य की सबसे बड़ी कुर्सी पर आसीन हैं जो की इनकी राजनितिक दूरदर्शिता को दिखता है.
साल 1989 में पहली बार गोरखपुर विधान सभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक बने. साल 1991 में वे स्वतंत्र प्रभार मंत्री शिक्षा बने थे. साथ ही इन्हें समाज कल्याण, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण और खेल मंत्रालय का भी दायित्व मिला था. साल 1996 में वह प्रदेश सरकार में कारागार मंत्री बने. साथ ही उन्याय और ग्राम विकास मंत्रालय की भी जिम्मेदारी मिली. देश में लगी इमरजेंसी के दौरान उन्हें 26 जून, 1975 को जेल भी जाना पड़ा. वे 18 महीने बाद साल जेल से छूटे थे. साल 2002 के बाद बाद भाजपा के लिए संगठन का काम करना किया. मौजूदा वक्त में शिव प्रताप शुक्ला देश भर में बढ़ते जातिवाद के खिलाफ मुखर होकर अपनी आवाज बुलंद करते हैं. अब हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्यभार संभालेंगे.
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…