देश/विदेश (जनमत) :- . मोदी सरकार ने नागरिकता संसोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान कर दी हैं जिसके बाद इस बिल के द्वारा अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर मुस्लिमों जिसके अन्तर्गर हिंदु, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी व इसाई आतें हैं को भारतीय नागरिकता देने में आसानी होगी। सरकार शीतकालीन सत्र में ही विधेयक को संसद में पेश कर सकती है। वहीँ मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल के दौरान इसे लोकसभा में पास करा लिया था। लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण राज्यसभा में अटक गया था। केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी।
दरअसल, विपक्षी दलों ने धार्मिक आधार पर भेदभाव के रूप में नागरिकता विधेयक की आलोचना कर चुके हैं। बिल को लेकर असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों ने आपत्ति जताई थी और कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। नागरिकता बिल के जरिए 1955 के कानून को संशोधित किया जाएगा। आपको बता दे कि मौजूदा कानून के तहत भारत सरकार अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के गैर-मुस्लिमों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को 12 साल देश में रहने के बाद नागरिकता देती है। लेकिन संशोधित विधेयक में अल्पसंख्यक शरणार्थियों के लिए यह समयावधि 6 साल करने करने का प्रावधान है।
कोई वैध दस्तावेज न होने पर भी 3 देशों के गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिल सकेगी और उन्हें नागरिकता मिलने में अब आसानी होगी. वहीं इसी के चलते पूर्वोत्तर के लोगों का विरोध है कि यदि नागरिकता बिल संसद में पास होता है तो इससे राज्यों की सांस्कृतिक, भाषाई और पारंपरिक विरासत खत्म हो जाएगी। जबकि असम समझौते के अनुसार 1971 से पहले आए लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान था. इस बिल के माध्यम से 31 दिसंबर 2014 से पहले आए सभी लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
Posted By :- Ankush Pal