देश विदेश (जनमत):- देश की सरकार जहाँ विकास की परियोजनाओं को तेज करने का दावा कर रही है वहीँ देश के साथ ही पूरे विश्व में सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करने के लिए जाने वाला रेलवे विभाग अब सरकार के फैसलों को लेकर असंतुष्ट नज़र आने लगा है| इसकी वजह हाल ही में रेलवे में प्रवेश के लिए IAS और निजी खिलाड़ियों के लिए बनाई गयी योजना है| ये परिवर्तन न केवल रेलवे के लिए बल्कि अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के लिए भी किए जा रहे हैं|
कम से कम एक ज़ोन का नेतृत्व एक IAS अधिकारी द्वारा किया जाएगा| कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि यह योजना आईएएस और निजी खिलाड़ियों के लिए निर्धारित है, जिन्हें राजनीतिक संस्थाओं के रूप में जाना जाता है या जिन्हें रेलवे में प्रवेश करने के लिए स्वतंत्र निदेशक या राजनीतिक दल के रूप में जाना जाता है। इसी के साथ ही बताया कि यह कुछ वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के इशारे पर किया गया है, जो कई गैर-आईएएस केंद्रीय मंत्रालयों में प्रतिनियुक्ति लेने के बाद विशेष रूप से आईएएस अधिकारियों के खोए हुए मैदान को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने यह भी बताया कि रेलवे के निजीकरण के संबंध में कुछ बड़े फैसले अप्रैल के बाद लिए जाएंगे। इसलिए वर्तमान सीआरबी को 3 महीने के बजाय एक साल का विस्तार दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि निजीकरण बोली में रेलवे की अधिकांश रखरखाव गतिविधियों का निजीकरण शामिल है। अधिकांश वर्कशॉप, शेड कॉरपोरेटाइजेशन की ओर बढ़ेंगे, जहां कई रेलवे अधिकारियों को अवशोषित किया जाएगा। बताया यह भी जा रहा है कि 2020 में 150 निजी गाड़ियां ही चलेंगी और अधिकांश लाभदायक मार्ग निजी खिलाड़ियों को दिए जाएंगे। इन सभी गतिविधियों को पीएम के विजन 2020 की 20 उपलब्धियों के रूप में बेचा जाएगा।
कम से कम एक ज़ोन का नेतृत्व एक IAS अधिकारी द्वारा किया जाएगा और एक एक सफल निजी कंपनी के एक्ससीओओ द्वारा भी ऐसा किया जाने का कयास भी लगाया जा रहा है । हालाँकि ये परिवर्तन न केवल रेलवे के लिए बल्कि अन्य सार्वजनिक उपक्रमों के लिए भी किए जा रहे हैं। कैडर रिव्यू कमेटी (सीआरसी) को पहले इस मुद्दे की जांच करनी चाहिए थी और इस आशय की सिफारिश के बाद ही कैबिनेट की मंजूरी लेनी चाहिए थी। एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, स्पष्ट प्रक्रियागत खामियां हैं।
Posted By:- Amitabh Chaubey