देश विदेश(जनमत):- एक तरफ जहाँ केंद्रीय सरकार रेलवे में बदलाव को लेकर प्रयासरत हैं वहीँ इसी कड़ी में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कहा था की भारतीय रेलवे को 2030 तक दुनिया की सबसे अच्छी रेल सेवा बनाएंगे। निगमीकरण एव निजीकरण की प्रक्रिया के तहत रेल मंत्रालय ने विभिन्न विभगो में कर्मचारीयों की जरुरतो का एक नय सिरे से नापजोख कर नॉन- कोर क्रियाकलाप को आउटसोर्से करने की कार्यविधि की शुरुआत कर दी है। जिस के लिए रेलवे बोर्ड की तरफ़ से कई प्रकार के कार्यो के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता के नए मानक समयबद्ध किए गए हैं।
महाप्रबंधकों के नय नापजोख के अनुसार अब रेलवे के हर विभाग में अलग अलग कार्यो के लिए आवश्यक कर्मचारियों की तादाद को नए सिरे से आकलन करने के बाद इस बात का पता लग जायेगा कि कहां पर कितने कार्यो को आउटसोर्स किया जा सकता है। जिस से रेलवे को इस बात का पता चल जायेगा की कौन कौन से कर्मचारि फालतू है जिन्हें रेलवे मुफ्त में तनख़्वाह दे रहा है ऐसे कर्मचारिओ की तनख़्वाह और अन्य मिलने वाले खर्चो में कमी की जा सके।
जैसे की नॉन पावर ब्लॉक(Non-power block), ओएचई(OHE), ओएचई(OHE)’ के अन्य कार्य, पीएसआइ(PSI )में टीनेंस एवं पीएसआइ(PSI) आपरेशन तथा टीपीसी(Tpc) ड्राइंग तथा तकनीकी एवं क्लेरिकल कर्मचारियों व सहायक के कार्य आउटसोर्स कर्मचारियों को सौंपने को कहा गया है। वही अभ कोर गतिविधियों में भी नए नियमों के मुताबिक इलेक्टि्रक लोको तथा कोच के रख रखाव के लिए इलेक्टि्रक एवं मैकेनिकल कर्मचारियों की तादाद भी अब पहले से बहुत कम होगी। सरकार के उस आदेश के बाद रेलवे में कर्मचारियों के पुनराकलन का ये अभियान प्रारंभ हुआ है|
जिसमें सरकार ने ये आदेश दिया है की सभी मंत्रालय अपने यहां हर विभागों में कर्मचारियों का फिर से नए सिरे से नापजोख कर जो भी फालतू कर्मचारि है उन्हें कम करने के साथ साथ गैर-कोर गतिविधियों को आउटसोर्स भी करे| रेलवे में कर्मचारियों की संख्या कम करने तथा नॉन-कोर गतिविधियों को आउटसोर्स करने का आधार उसी दिन तैयार हो गया था जब 2016 में रेल बजट को खत्म कर इसे आम बजट का हिस्सा बना दिया गया था।
सरकार का विश्वास है कि यदि भारतीय रेल को जापान और चीन से मुकाबला करना है तो उसे जनता को विश्वस्तरीय और हाईस्पीड सेवाएं देनी है तो उसे कुशल और प्रतिस्पर्द्धी बनना होगा। वही सूत्रों के मुताबिक भारतीय रेलवे में अब कुछ ट्रेनों का संचालन निजी हाथों में जाता नजर आ रहा है। रेल कर्मचारियों के यूनियनों के विरोध के बावजूद रेलवे ने दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस को निजी क्षेत्र को सौंप दिया है। दिल्ली-लखनऊ रूट की यह सबसे प्रतीक्षित ट्रेनों में से एक है।
Posted By:- Amitabh Chaubey