देश विदेश (जनमत):- सत्य ही शिव हैं और शिव ही सुंदर है। तभी तो भगवान शिव को सत्यम शिवम सुंदर कहा जाता है। भगवान शिव की महिमा अपरंपार है। भारत देश में हिंदुओ के 33 करोड़ देवी और देवता हैं जिन्हें वे मानते तथा पूजते हैं परंतु इन 33 करोड़ देवी और देवता में मुख्य है भगवान शिव। भगवान शिव को मानने वालों ने शैव नामक सम्प्रदाय चलाया। शैव सम्प्रदाय के अधिष्ठाता एवं मुख्य देवता भगवान शिव है| ये लोग भगवन शिव की उपासना नियमित रूप से करते है। आप को बता दे की पूजा पाठ से जितनी जल्दी भगवन शिव खुश होते है उतनी जल्दी कोई और भगवन खुस नहीं होते है।
भगवन शिव को खुश करने का ही महापर्व है “शिवरात्रि” जिसे त्रयोदशी तिथि, फाल्गुण मास, कृष्ण पक्ष की तिथि को प्रत्येक साल मनाया जाता है। महाशिवरात्रि पर्व की विशेषता है कि सनातन धर्म के सभी प्रेमी इस त्योहार को मनाते हैं। सभी ग्रह दोषों से मुक्ति दिलाने वाली ‘महाशिवरात्रि’ का पावन पर्व 21 फरवरी, शुक्रवार को है। समस्त ब्रह्मांड, तारामंडल ग्रह मंडल आदि परमेश्वर श्रीशिव के द्वारा निर्मित और उन्हीं के आधीन है। इन्हीं के संकेत मात्र से प्राणियों के जीवन में ग्रह अपना गोचर शुभाशुभ प्रभाव दिखाते हुए फल देते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन शुभ काल में ही शिव और पार्वती की पूजा का विधान है। इस दिन रात्रि में चार बार शिव पूजन का विधान है। महाशिवरात्रि की रात को सिद्धि की रात भी कहते है। इस रात सिद्ध पुरुष सिद्धियां प्राप्त करते हैं। महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव से जुड़ी कुछ आस्थाये प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इस विशेष दिन ही ब्रम्हा के रूद्र रूप में मध्यरात्रि को भगवान शिव का अवतरण हुआ था। वहीं यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपनी तीसरी आख खोला था और ब्रम्हांड को इस तीसरी आख के भस्म किया था।
इसके अलावा कई स्थानों पर इस दिन को भगवान शिव के विवाह से भी जोड़ा जाता है और यह माना जाता है कि इसी पावन दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन सुबह से ही शिवमंदिर में कतारें लग जाती हैं| महाशिवरात्रि के दिन भगवन शिव के सभी मंदिरों को खूब अच्छे से सजाया जाता है। भक्तगण पूरा दिन बिना खाना खाए व्रत रहते है। महाशिवरात्रि के दिन भगवन शिव का अलग अलग पवित्र वस्तुओं से पूजन एवं अभिषेक किया जाता है और बिल्वपत्र, धतूरा, अबीर, गुलाल, बेर, उम्बी आदि अर्पित किया जाता है।
भगवान शिव को भांग बेहद प्रिय है अत: कई लोग उन्हें भांग भी चढ़ाते हैं। उसके बाद शिवलिंग पर फल, फुल व बेर तथा दूध चढाते है। भक्तो द्वारा ऐसा करना बड़ा ही पुण्यदायक माना जाता है। इसके साथ ही भगवान शिव के वाहन नन्दी की भी पूजा व सेवा की जाती है। महाशिवरात्रि के दिन गंगा-स्नान का भी विशेष महत्व है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने गंगा के तेज प्रवाह को अपनी जटाओं में धारण करके इस मृत्युलोक के उद्धार के लिए धीरे-धीरे धरती पर छोड़ा था। धार्मिक ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि भगवान शिव की पूजा करने से सारे मनोकामना पूरी हो जाती हैं और महाशिवरात्रि का व्रत करने वाले साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
नीति-नियम से न हो सके तो साधारण तरीके से पूजा करने पर या सिर्फ भगवान शिव का स्मरण कर लेने से भी वो प्रसन्न हो जाते हैं|हमारे सनातन धर्म में 12 ज्योतिर्लिंग के बारे मे बतया गया है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में महाशिवरात्रि तिथि में ही सभी ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। शिव की साधना से धन-धान्य, सुख-सौभाग्य,और समृद्धि की कमी कभी नहीं होती। हमें भी भगवान शिव से प्रार्थना करनी चाहिए जिस तरह उन्होंने शिकारी चित्रभानु के ह्रदय को निर्मल और पवित्र किया, हमारे ह्रदय को भी उसी तरह निर्मल और पवित्र करे|
महाशिवरात्रि 2020 का शुभ मुहूर्त:-
शुक्रवार, 21 फरवरी को शाम 5 बजकर 20 मिनट से
शनिवार, 22 जनवरी के शाम 7 बजकर 2 मिनट तक
महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त रहेगा।