देश/विदेश (जनमत) :- सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय दिया है। इस निर्णय से वोडाफोन आइडिया और एयरटेल को खासा राहत मिली है। गौरतलब है कि शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस फैसले को तीन आधार पर किया जाएगा। पहला, टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर बकाया चुकाने के लिए टुकड़ों-टुकड़ों में भुगतान करने की मोहलत देनी चाहिए या नहीं। दूसरा, जो कंपनियां इंसाल्वेंसी प्रक्रिया का सामना कर रही हैं, उनके बकाये को किस तरह वसूला जाए। तीसरा, क्या ऐसी कंपनियों का अपने स्पेक्ट्रम को बेचना वैध है। एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी है।
आपको बता दे कि वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल ने एजीआर बकाया चुकाने के लिए कोर्ट से 15 साल समय देने की मांग की थी। अभी तक 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपये का भुगतान किया है, जबकि कुल बकाया राशि 1.69 लाख करोड़ रुपये है। दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रम फीस और आठ फीसदी लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी।
Posted By:- Ankush Pal
Correspondent,Janmat News.