व्यक्ति विशेष(जनमत) अपनी मार्मिक कविता से लोगो की नब्ज टटोलने वाले कवि सुयश कुमार द्विवेदी जो न सिर्फ कविताओं का संग्रहण करते है बल्कि कविताओं के जरिये उन विषयों पर भी जोर देते है जो सामाजिक समरसता के लिए ज़रूरी है| इनके पिता का नाम श्री वीरेंद्र दुबे(अध्यापक) माता का नाम श्रीमती अरुणा दुबे(अध्यापक) जन्म स्थान सबया, सिसवा बाज़ार जिला महरागंज जन्म तिथि 02 दिसम्बर 1984 शिक्षा BA,LLB,LLM,NET क्वालीफाई है| यह सहायक लोक अभियोजन अधिकारी गृह विभाग, दिल्ली सरकार में कार्यरत है| LLB(2004-2007) दौरान कविता लेखन में दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में लगातार दो साल प्रथम पुरस्कार पाया हैं|
LLB के दौरान BBC के ऊपर लिखी गई कविता का BBC लंदन से प्रसारण हुआ वही गोरखपुर से प्राकशित समाचार पत्रों में कई बार कविताओ का प्रकाशन हुआ हैं| सन 2014 में संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) द्वरा आयोंजित सहायक लोक अभियोजन अधिकारी परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 15वा स्थान पाकर चयनित हुए|
प्रथम कविता संकलन “सपनोँ को अपने जी ले रे” का प्रकाशन 2019 में हुआ| 200 के लगभग कविताओ की रचना गीत, निबन्ध, लेख, लघु कहानी, व्यंग्य की रचना की| स्कूल अथवा कालेज स्तर पर अनके बार गीत गाने में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया| निबन्ध लेखन में भी कई बार प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया| साथ ही साथ इन्होने शतरंज और क्रिकेट में भी पुरस्कार प्राप्त किया| ये फिल्मे देखना भी काफ़ी पसंद करते है| इन्होने कई गीतों की रचना भी की हैं साथ ही साथ ये गीत गाने के भी शौकिन हैं| इन्होने अपने प्राथमिक शिक्षा महात्मा गाँधी इंटरमीडिएट कालेज सिसवा बाज़ार जिला महराजगंज से पूरा किया| इन्होने दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से BA.LLB में प्रथम स्थान पाया और साथ ही साथ इनकी PH.D भी चल रही हैं|
पूर्वांचल की माटी “गोरक्षनगरी” से उपजे सुयश कुमार द्विवेदी का प्रथम काव्य संकलन “सपनोँ को अपने जी ले रे”! प्रकाशित हो रही हैं| इस पुस्तक को पढकर बहुत ही आनंद आया साथ ही साथ अपने संघर्ष के दिनों की सारी कहानिया मन-मस्तिष्क में एक-एक करके चित्रित होती चली गई| अतत: संघर्ष का परिणाम सुखद ही होता हैं एव परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है| जब भी कोई गीत या कविता ह्रदय को भाती हैं तो मन बरबस ही अपने आप उन शब्दों को गुनगुनाने लगता हैं| यह तथ्य सत्य है की यदि ईमानदारी और लगन से किसी भी लक्ष्य के लिए अनवरत प्रयास किया जाये तो निश्चित रूप से मेहनत रंग लाती हैं| इनकी कविताओ में ज्यादातर कविताएँ प्रेरणा देने वाली, जोश भरने वाली एव उर्जा से ओत प्रोत हैं| इनकी कुछ कविताएँ विशेष रूप से “सुबह का अखबार” “सपनोँ को अपने जी ले रे”! एव “दो शब्द” उल्लेखनीय हैं| माँ पर कविता ”माँ! तू कहा हैं” का भावबड़ा मार्मिक एव संवेदनापूर्ण हैं|
यह सुयश का प्रथम काव्य संकलन है और साहित्य जगत में इस नव प्रवेशी युवा कवि सुयश कुमार f}osnh| हलाकि आज कल कवियों के काव्यों का संग्रहण आम तौर पर बाज़ारों में मिल ही जाता हैलेकिन इनकी कवितायेँ ऑनलाइन भी अमेज़न के द्वारा खरीदी जा सकती हैं|
अमिताभ चौबे
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