व्यक्ति विशेष (जनमत): बॉलीवुड के फेमस विलेन अमरीश पुरी की आज 22 जून को अपना 87वां जन्मदिन है। 22 जून 1932 को लाहौर, पंजाब में जन्म हुआ था अमरीश पुरी बॉलीवुड में हीरो बनने आये थे लेकिन उन्हें असली पहचान विलेन के रोल से मिली| दमदार व्यक्तिव वाले अमरीश पुरी कई बार बिना डायलॉग के अपनी आवाज से ही सब कुछ बयां कर देते थे। बॉलीवुड में शुरुआत से लेकर अब तक बहुत सारे विलेन आये वही कुछ ही हैं जिन्होंने अपनी पहचान बनाई। इनमें सबसे आगे नाम आता है मुगेंबो यानी अमरीश पुरी का। उनकी रौब भरी आवाज में बोला गया डायलॉग- ‘मोगैंबो खुश हुआ’ आज भी लोगों की जुबान पर छाया है। लंबा चौड़ा कद, दमदार आवाज, डरावने गेटअप और जबरदस्त शख्सियत के जरिए सालों तक वो फिल्म प्रेमियों के दिल में खौफ पैदा करने में कामयाब रहे।
अपने फिल्मी करियर में अमरीश पुरी ने कई ऐसे किरदार निभाए जो आज भी याद किए जाते हैं। ‘मिस्टर इंडिया’ का मोगैम्बो हो या ‘नगीना’ का भैरोंनाथ, ‘अजूबा’ का ‘वजीर-ए-आला’ हो या फिर ‘तहलका’ का जनरल डोंग’ उनके कई किरदारों की आज भी चर्चा होती है। अमरीश पुरी बॉलीवुड के एक ऐसे विलेन थे जो फिल्मों में हीरो पर भारी पड़ जाते थे। 80 और 90 के दशक में अमरीश पुरी फिल्मों का अहम हिस्सा हुआ करते थे। अमरीश पुरी ने हिंदी ही नहीं हॉलीवुड फिल्म इंडियाना जोन्स एंड द टेंपल ऑफ डूम में भी काम किया था। इस फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय से खूब सुर्खियां बटोरी थीं। उन्होंने ने 30 सालों से भी ज्यादा समय तक हिंदी फिल्मों में काम किया। और ज्यादातर फिल्मो में खलनायक की भूमिकाएं ही निभाईं। ठकराल के उम्दा अभिनय के लिए अमरीश पुरी को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का खिताब दिया गया।
फ़िल्म त्रिदेव के लिए अमरीश पुरी को उनके शानदार अभिनय के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के लिए नामित किया गया। 1991 में सुभाष घई के निर्देशन में बनी फ़िल्म सौदागर में अमरीश पुरी ने एक बार फिर प्रभावशाली विलेन का रोल निभाया| उस समय के दो सबसे बड़े अभिनेता दिलीप कुमार और राजकुमार के सामने एक प्रभावशाली विलेन बनना अमरीश पुरी के लिए बड़ी चुनौती थी अमरीश पुरी ने फिर से इस फ़िल्म में अपने अभिनय से सब को हैरान के दिया और यह फिल्म भी सुपरहिट रही। इस फिल्म में दमदार विलेन का किरदार निभाने के लिए अमरीश पुरी को फिल्म फेयर बेस्ट विलेन के लिए नामित किया गया। फिल्म तहलका में एक बार फिर अमरीश पुरी एक खूंखार विलेन जरनल डांग के रूप में नजर आए। इस फिल्म में अमरीश पुरी का डायलॉग- ‘डांग कभी रॉन्ग नहीं होता’ बहुत फेमस हुआ और यह आज भी लोगों की पसंद बना हुआ है।
यह फिल्म एक हिट फिल्म साबित हुई और 1992 की सबसे ज्यादा कमाई करने के मामले में पांचवें स्थान पर रही। फिल्म मुस्कुराहट में अमरीश पुरी एक अलग रोल में दिखे। इस फ़िल्म में अमरीश पुरी के लिए एक आदर्श बाप जस्टिस गोपीचंद वर्मा की भूमिका निभाना काफी चुनौतीपूर्ण काम था, उन्होंने इस रोल को भी बहुत ही अच्छी तरह से निभाया। इस फिल्म के बाद अमरीश पुरी को खलनायक के साथ- साथ अन्य तरह के रोलों का अच्छा एक्टर माना जाने लगा। फिल्म सूरज का सातवां घोड़ा अमरीश पुरी की बाकी कॉमर्शियल फिल्मों से हटकर एक अलग फिल्म थी, इस फिल्म में दमदार एक्टिंग के लिए अमरीश पुरी को सिडनी फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट अभिनेता के खिताब से नवाजा गया। इसके साथ इस फिल्म को साल 1993 में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिया गया। फिल्म दामिनी में अमरीश पुरी एक बार फिर काले कोट पहने अदालत में जिरह करते नजर आए।
अमरीश पुरी के शानदार अदाकारी के कारण उन्हें 1994 के फिल्मफेयर बेस्ट विलेन के पुरस्कार के लिए नामित किया गया। साल की बेस्ट फिल्म सहित इस फिल्म ने कुल मिलाकर 4 फिल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किए। फिल्म गर्दिश में अमरीश पुरी ने एक पुलिवाले हवलदार के रोल में नजर आए। यह फिल्म सुपरहिट रही और एक बार फिर अमरीश पुरी फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के पुरस्कार के लिए नामित किया गया। इसके अलावा फिल्म गर्दिश ने दो फिल्मफेयर अवार्ड अपने नाम किए। फिल्म करन अर्जुन में ठाकुर दुर्जन सिंह के रोल में अमरीश पुरी का फिर एक बार दमदार आवाज और रोबीला व्यक्तित्व पर्दे पर छा गया। इस फिल्म ने दो फिल्मफेयर पुरस्कार जीते और अमरीश पुरी को एक बार फिर से फिल्मफेयर बेस्ट विलन के पुरस्कार के लिए नामित किया गया। फ़िल्म दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में अमरीश पुरी ने द्वारा बोला गया डायलॉग, ‘जा सिमरन जा, जा… जी ले अपनी जिंदगी’ आज भी लोगों की जुबां पर छाए रहता है।
यह फिल्म सुपरहिट रही और इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित 10 फिल्मफेयर पुरस्कार अपनी झोली में डाले। बेहतरीन अभिनय के लिए एक बार फिर से अमरीश पुरी को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के तौर पर नामित किया गया। फिल्म घातक में अमरीश पुरी ने बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के पुरस्कार समेत इस फिल्म ने कुल मिलाकर 3 फिल्मफेयर पुरस्कार अपने नाम किए। फिल्म विरासत में अमरीश पुरी को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा इस फिल्म को बेस्ट क्रिटिक फिल्म सहित 12 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले। फ़िल्म कोयला में एक बार फिर अमरीश पुरी ने एक बार फिर खलनायक का रोल निभाया। उम्दा अभिनय के लिए उन्हें एक बार फिर से फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग अभिनेता के खिताब के लिए नामित किया गया। यह फिल्म भी सुपरहिट रही। फिल्म गदर में अमरीश पुरी एक पाकिस्तानी राजनेता अशरफ अली के रोल में नजर आए।
फ़िल्म गदर को देश की सबसे ज्यादा कमाई करने के साथ साथ सबसे ज्यादा देखी जाने वाली फिल्मों में सामिल किया जाता है। इस फिल्म ने दो फिल्मफेयर अवार्ड जीते और आठ अन्य फिल्मफेयर पुरस्कारों की कैटेगरी में इस फिल्म को नामित किया गया। अमरीश पुरी ने अपने पूरे करियर में तकरीबन 400 फिल्मों में काम किया था। उनकी आखिरी फिल्म ‘कच्ची सड़क’ थी, जो उनके निधन से करीब डेढ़ साल बाद 2006 में रिलीज हुई थी।12 जनवरी, 2005 को ब्रेन हेमरेज के चलते मुंबई में उनका निधन हो गया| और इसके साथ ही एक महान अभिनेता रंगमंच की दुनिया से दूर चला गया हमारे जनमत न्यूज़ की तरफ़ से अमरीश पुरी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं|
आइये अप को अमरीश पुरी की कुछ बेहतरीन फिल्मो के नाम बता दे जिस ने अमरीश पुरी को एक बहुत बड़े मुकाम तक पहुचा दिया| फ़िल्म- मेरी जंग(1985), फ़िल्म- त्रिदेव(1989), फ़िल्म-सौदागर(1991), फ़िल्म- तहलका(1992),फ़िल्म- मुस्कुराहट(1992), फ़िल्म- सूरज का सातवा घोड़ा(1992), फ़िल्म- दामिनी(1993),फ़िल्म- करन अर्जुन(1995), फ़िल्म- दिलवाले दुल्हनिया ले जाएगे(1995),फ़िल्म-घातक(1996),फ़िल्म- विरासत(1997), फ़िल्म- कोयला(1997), फ़िल्म- गदर एक प्रेम कथा(2001)
अमिताभ चौबे
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