दिल्ली/जनमत/28 दिसम्बर 2024। ‘History will be kinder to me than the media’ यानि ‘इतिहास मेरा मूल्यांकन करते समय ज्यादा उदार होगा’ पुरे देश में पुर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन से शोक है. देश को आर्थिक सुधारों की राह पर ले जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह हमारे बीच नहीं हैं. गुरुवार को उन्होंने 92 साल की उम्र में दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में अंतिम सांस ली है.
आज पूरे राजकीय सम्मान के साथ दिल्ली के शक्ति स्थल के पास निगमबोध घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. मनमोहन सिंह 2004 में देश के 14वें प्रधानमंत्री बने और मई 2014 तक इस पद पर दो टर्म रहे. वे देश के पहले सिख और चौथे सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे. सिंह 1991 से 1996 के बीच भारत के वित्त मंत्री भी रहे. आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति शुरू करने में उनकी भूमिका को दुनियाभर में आज भी सराहा जाता है. आपको बता दें कि भारत में मनमोहन सिंह के कुछ ऐसे योगदान है जिसके लिए हम हमेशा उनके श्रणि रहेंगे.
डॉ. मनमोहन सिंह के योगदान
1991 का वो वक्त जब हमारे पास सिर्फ 2 सप्ताह के लिए ही खजाने बचे थे. लेकिन 1991 में पीएम पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव के प्रस्ताव पर मनमोहन सिंह को देश का वित्त मंत्री बनाया गया जिसके बाद मनमोहन सिंह ने उदारीकरण नीति लागू किया. जिससे भारत अपने सबसे बूरे वक्त से उभर पाया.
वहीं 1991 में आर्थिक परिस्थियों में सुधार लाने के लिए लाइसेंस राज को खत्म किया जो देश की इकोनॉमी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. अर्थव्यवस्था को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया और ग्लोबलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और उदारीकरण के एक ऐसे युग की शुरुआत की, जिसने देश की दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया.
वहीं 2005 में RTI यानि राईट टु इनफॉर्मेशन लाया गया जिससे देश के सभी नागरिकों को सरकार की हर नीतियों की जानकारी प्राप्त हो सके. 2005 में ही मनरेगा योजना लाई गई जिससे ग्रामीण परिवारों को रोजगार की गारंटी दी यह दुनिया की सबसे बड़ी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में से एक है. इस योजना ने ग्रामीण भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया. गरीब तबके के लोगों को आर्थिक सुरक्षा दी. परमाणू डील एक ऐसी डिल थी जिसके खिलाफ लगभग सभी पार्टियां थी इसके बावजूद भी मनमोहन सिंह ने अब्दुल कलाम की मदद लेकर अमेरिका से बातचीत की जिससे अमेरिका और भारत के रिश्ते में मजबुती आई और 2008 की आर्थिक तंगी में सुधार आया.
Published by Priyanka Yadav