भाजपा-शिवसेना में आई दरार…अब शिवसेना बनाएगी अपनी सरकार!…

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राजनीति (महराष्ट्र) :- देश की राजनीती में जहाँ क्षेत्र पार्टियों के सहयोग से सरकारें बनती हैं वहीँ अब क्षेत्र दल भी अपनी सरकार बनाये जाने को लेकर सरकार से आर या पार के मूड में दिख रहें हैं. वहीँ इसी कड़ी में महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पायीं हैं वहीँ दूसरी तरफ किसी भी पार्टी के पास सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत नहीं है। ऐसे में राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सबसे बड़ा दल होने की वजह से भाजपा को सरकार बनाने का न्योता दिया लेकिन पार्टी ने मना कर दिया है।भाजपा ने शिवसेना पर विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को मिले जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाया है। भाजपा ने मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना की मांग मानने से मना कर दिया है जिसके बाद वह सरकार गठन के लिए कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का समर्थन हासिल करने की कोशिश में हैं। फिलहाल शिवसेना के पास सरकार बनाने का एक मौका ज़रूर मिला है.

वहीँ दूसरी तरफ शिवसेना ने भाजपा की केंद्रीय सरकार से मिले अपने कोटे के केंद्रीय पास से इस्तीफा देने के बाद भाजपा से 30 साल पुरानी दोस्ती को अलविदा कह दिया. जिसके बाद शिवसेना को न्योता दिया गया है। भाजपा शिवसेना को मुख्यमंत्री पद नहीं देना चाहती है। इसके अलावा वह 50-50 के फॉर्मूले पर भी अमल नहीं करना चाहती है, चाहे विपक्ष में ही क्यों न बैठना पड़े।इसी बीच शिवसेना के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता संजय राउत का कहना है कि यदि मैं रास्ते की परवाह करुंगा तो मंजिल बुरा मान जाएगी। उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भाजपा ने घोषणा की है कि वह महाराष्ट्र में सरकार नहीं बनाएगी।

वहीँ इसी कड़ी में एक बार फिर राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भाजपा पर हमला बोला, वहीं कांग्रेस और एनसीपी को लेकर उनके रुख में नरमी देखने को मिली। उन्होंने कहा कि यदि दोनों पार्टियों में जो बातचीत हुई थी, उसको माना जाता, तो यह स्थिति नहीं बनती।  फिलहाल जब तक स्थिति साफ़ नहीं होती तब तक राजनितिक गलियारों में असमंजस की स्तिथि बनी हुई है, वहीँ दूसरी तरफ कांग्रेस ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं. एक तरफ देखा जाए तो शिवसेना ने सीएम पद के चलते अपनी तीस साल पुरानी दोस्ती तोड़ दी यह भी कहीं न कहीं शिवसेना का आर पार का फैसला ही हैं, वहीँ  दो अलग अलग विचारधारा के दलों का ज्यादा दिन साथ फिलहाल नहीं चल पता है वहीँ अब देखना यह होगा की अगर महाराष्ट्र  में तीन अलग अलग (कांग्रेस+शिवसेना +एनसीपी) विचारधारा वाले दल साथ आकर सरकार बनातें हैं तो यह कहना भी  गलत  नहीं होगा की यह गठबंधन काफी लम्बा नहीं चलने वाला , क्योंकि राजनीती में नीतियों से ज्यादा पद को महत्त्व दिया जाता है और सत्ता के बाहर कोई भी राजनितिक दल जीवित नहीं रह पाता है.

Posted By :- Ankush Pal