बेंगलुरु(जनमत): इंडियन एयर फ़ोर्स ने अपनी तेजी से घट रही लड़ाकू स्क्वॉड्रन को देखते हुए भारत में विकसित और निर्मित हल्का लड़ाकू विमान तेजस विमानों को अपने बेड़े में शामिल किए जाने का फैसला किया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन ने एक इंटरव्यू में कहा कि सभी परीक्षणों में तेजस और एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम (एईडब्ल्यूसीएस) सफल रहा।
डीआरडीओ डे फ़ंक्शन के अवसर पर चेयरमैन ने बताया कि संस्था की स्थापना 60 साल पहले 1965 में 10 प्रयोगशालाओं के साथ की गई थी। इसका उद्देश्य रक्षा के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देना था। एयर फोर्स ने अभी तक 123 तेजस जेट्स अपने बेड़े में शामिल किए जाने की अनुमति दी है उन्होंने कहा कि आज देश मिसाइल, रडार, सेंसर आदि उपकरणों और प्रणालियों के विकास आत्मनिर्भर हो चुका है। सेना को सशक्त बनाने के लिए डीआरडीओ सालों से काम कर रहा है।
तेजस चौथी पीढ़ी का सुपरसोनिक विमान है। हाल के समय में इंडियन एयर फोर्स अपनी न्यूनतम 42 स्क्वॉड्रन की क्षमता से भी नीचे 31 लड़ाकू स्क्वॉड्रन तक पहुंच गई है जो चीन और पाकिस्तान से आ रही चुनौतियों को देखते हुए काफी कम है।
ये भी पढ़े-उत्तरी रेलवे में निकली वैकेंसी