दिल्ली एनसीआर (जनमत) :- सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई के दौरान सोशल मीडिया को लेकर बड़ा बयान दिया है. वहीँ इसे लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि कभी-कभी अदालत को भी सोशल मीडिया का दंश झेलना पड़ता है। कभी यह उचित होता है और कभी अनुचित, लेकिन हमें अपने अधिकारों का पालन करते रहना होता है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी की पीठ ने सोमवार को कनौजिया की पत्नी जगीशा अरोड़ा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पत्रकार की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि चूंकि आरोपी न्यायिक हिरासत में है, इसलिए इस पर विचार नहीं किया जा सकता।
आपको बता दे कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी मामले में पत्रकार प्रशांत कनौजिया के मामले की सुनवाई के दौरान इस पीठ ने कहा कि अगर यह स्वतंत्रता से वंचित करने का मामला है तो हम अपने हाथ बांधकर नहीं रह सकते। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि इस मामले में जरूरत से ज्यादा की गई कार्रवाई के मद्देनजर यह आदेश दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत देने का मतलब उसकी पोस्ट या ट्वीट को स्वीकृति देना नहीं है।