नई दिल्ली (जनमत):- दुनिया का सबसे प्राचीन शहर वाराणसी, भारत के अधिकांश धार्मिक संप्रदायों के लिए एक पावन भूमि है। भक्ति और अध्यात्म की इस नगरी में हर साल दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु आते हैं। उत्तर रेलवे वर्ष 2014 से इस शहर में अपनी आधारभूत संरचनाओं को और उत्कृष्ट बना रह है, जिससे यात्रियों को भारतीय रेल का सुखद और आदामदायक यातायात अनुभव मिल सके । मौजूदा समय में, उत्तर रेलवे का वाराणसी जंक्शन (छावनी) स्टेशन देश की हर दिशा से इस पावन नगरी को आने वाली 117 रेलगाड़ियों को प्रतिदिन हैंडल करता है। इसमें भारत की बेहद प्रतिष्ठित और लोकप्रिय पहली सेमी-हाई स्पीड रेलगाड़ी वंदे भारत एक्सप्रेस भी शामिल है।
इस स्टेशन पर हर दिन (औसतन) 67,216 से अधिक यात्रियों का आवागमन होता है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 150% अधिक यात्रियों की संख्या है। उत्तर रेलवे शहर के इस प्रमुख स्टेशन के पुनर्विकास के लिए राइट्स की मदद ले रहा है। इस पुनर्विकास कार्य के अंतर्गत स्टेशन के बाहरी संरचना का सौंदर्यीकरण, मौजूदा प्लेटफॉर्मों में सुधार, दो नए प्लेटफॉर्मों और दो नए फुट-ओवर-ब्रिजों का निर्माण और स्टेशन के तीसरे प्रवेश द्वार का प्रावधान शामिल हैं । वाराणसी दो प्रमुख मेट्रो शहरों दिल्ली और कोलकाता के बीच स्थित है। इस सेक्शन पर मालगाड़ियों की भारी आवाजाही रहती है। जिसके कारण मालगाड़ियों को यात्री क्षेत्र से अलग करने की आवश्यकता महसूस की गयी।
इसके लिए शिवपुर से फ्रेट बाईपास लाइन का निर्माण किया गया है, जिससे यार्ड से होकर आवाजाही कम हो सके। लाइन वाराणसी जं. के प्लेटफॉर्म 9 से काफी आगे बिछाई गई है। जिन मालगाड़ियों को वाराणसी में ऑफ़लोड नहीं करना है, उन्हें बाईपास लाइन के माध्यम से काशी से शिवपुर की ओर भेजा जा रहा है जिससे वाराणसी जं. रेलवे स्टेशन को बाईपास किया जा सके। इससे स्टेशन क्षेत्र में यात्री रेलगाड़ियों के आवागमन को सुगम बनाए रखने में मदद मिली है । इस कदम से मालगाड़ियों की गति भी बेहतर हुई है और यार्ड डिटेंशन के कारण होने वाले समय के नुकसान को भी बचाया जा रहा है ।
रेलवे द्वारा ‘एक स्टेशन एक उत्पाद’ की पायलट परियोजना को वाराणसी जं. स्टेशन पर लॉन्च किया गया, जिसमे लकड़ी के खिलौनों की बिक्री और एवं लोकप्रियता बढ़ाने हेतु रेलवे बोर्ड द्वारा चिन्हित किया गया । यह वाराणसी क्षेत्र का एक हस्ताक्षर हस्तशिल्प उत्पाद है। लकड़ी के खिलौनों का स्टॉल मार्च, 2022 से आवंटित किया गया और इसे प्लेटफार्म नं. 1. पर लगाया गया है। यह पहल यात्रियों के बीच बेहद लोकप्रिय रही है और स्टॉल ने खिलौनों की बिक्री से लगातार बढ़ता लाभ दर्ज किया है। इस तरह रेलवे स्थानीय कारीगरों को उनके हस्तशिल्प की बिक्री के लिए एक प्रमुख मंच प्रदान करके क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी मदद कर रहा है। उक्त जानकारी दीपक कुमार(मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी) उत्तर रेलवे के द्वारा प्राप्त हुई|