जनमत(नई दिल्ली):शु्क्रवार को रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की मौजूदगी में थलसेना में तीन प्रमुख तोप सिस्टम को शामिल किया जिनमें ‘एम777 अमेरिकन अल्ट्रा लाइट होवित्जर’ और ‘के-9 वज्र’ शामिल हैं। ‘के-9 वज्र’ एक स्व-प्रणोदित तोप है। थलसेना में शामिल की गई तीसरी तोप प्रणाली ‘कॉम्पोजिट गन टोइंग व्हीकल’ है।
गुरुवार को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने पत्रकारों को बताया कि नवंबर 2020 तक यानी दो साल में 4,366 करोड़ रुपए की सौ के9 वज्र तोपों को तोपखाने में शामिल कर लिया जाएगा। इस बैच की दस तोपें इस महीने के लास्ट तक तोपखाने में पहुंच जाएंगी।
वहीं मिली जानकारी के अनुसार 90 तोपों का सृजन मेक इन इंडिया के तहत होगा। K-9 वज्र तोप 39 किमी तक अचूक निशाना लगाने के साथ- साथ दिन और रात, कभी भी फायर करने में सक्षम रहेगा। 40 वज्र तोपें अगले वर्ष नवंबर में मिलेंगी, बची 50 वज्र तोपें नवंबर 2020 में मिलेगी।
स्वदेशी के9 वज्र की पहली रेजिमेंट को पहली बार भारतीय निजी क्षेत्र तैयार कर रहा है। देश में पहली बार किसी तोप का निर्माण हो रहा है। के9 वज्र की पूरी खेप अगले साल जुलाई तक बनकर तैयार हो जाने की पूरी उम्मीद है। इन तोपों की मारक क्षमता 28-38 किलोमीटर तक है। बताया जा रहा है कि K-9 वज्र को साउथ कोरिया की कंपनी हनवहा टेक विन ने मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया है।
यह तोप 60 मिनटों में लगातार 60 राउंड की फायरिंग करने के साथ साथ 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ सकती है और ये तोप रेगिस्तानी इलाकों में भी चलने में सक्षम बताई जा रही है। इस तोप को हेलीकॉप्टरों या विमान से एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाया जा सकेगा।
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