देहरादून (जनमत ) :- राज्य के सबसे बड़े राजकीय मेडिकल कॉलेज दून के कर्मचारी अधिकारियो में यूं तो अपार ज्ञान का भंडार हैं लेकिन वह ज्ञान भी तब अधूरा ही साबित हो जाता है जब नियमों को ठेंगा दिखाकर कुछ अधिकारी कर्मचारियों को लंबे समय तक अपने इर्द-गिर्द ही बैठा लेते है दरअसल शासन के आदेश के बाद महानिदेशालय द्वारा प्रवर सहायक जो पूर्व में दून मेडिकल कॉलेज में कार्यरत था को बर्खास्तगी की कार्यवाही की थी लेकिन ज्ञानी अधिकारियों ने उसे भी महालेखाकार उत्तराखंड के परीक्षा दल द्वारा लेखा परीक्षा परीक्षण के दौरान बिना किसी नियम और कानून के बुला लिया । अब कर्मचारी भी इतना रसूखदार रहा जो बिना किसी नियम के सरकारी कुर्सी पर बैठ कर पूर्व की भांति कार्यों का संपादन करता रहा।
अब दून के अधिकारियो के कारनामों का खुलासा खुद आरटीआई में हुआ है दून मेडिकल कॉलेज द्वारा आरटीआई में बताया गया कि 2016-17 से अगस्त 2021 तक का ऑडिट लेखा परीक्षा दल द्वारा किया जाना प्रस्तावित है अतः कॉलेज संस्थान में समय-समय पर मांग अनुसार अपने समय के अभिलेखों का परीक्षण कराए जाने हेतु आवश्यक सहयोग करने के लिए संबंधित बर्खास्त कर्मचारी को दून में सेवाएं देने बुलाया गया। यह बात किसी भी सूरत में किसके गले नहीं उतर रही है कि बर्खास्त कर्मचारी सरकारी कुर्सी पर काबिज होकर अधिकारियों की नाक के नीचे ऑडिट करवाता रहा । कर्मचारी को इसकी एवज में ना कोई वेतन दिया गया और ना ही भत्ता दिया गया।
अब भला बिना किसी भत्ते के कर्मचारी कैसे आता रहा। हालाकि उनके काबिल अधिकारी इस पर भी अलग ही तर्क देते रहे कि अन्य कर्मचारियों को कागजों की जानकारी नहीं थी इस लिए समय-समय पर संबंधित बर्खास्त कर्मचारी को बुलाया गया अब भला बर्खास्त कर्मचारियों के भरोसे दून के कामकाज चलेंगे तो क्या नियम और क्या कानून का यहाँ अधिकारी पालन कर रहे होंगे।