मथुरा/जनमत 25 अक्टूबर 2024। अहोई अष्टमी के दिन राधाकुण्ड में स्नान या डुबकी लगाने का हिन्दु मान्यता के अनुसार विशेष महत्व है। जिन लोगों को गर्भधारण करने में समस्या आती है, वे इस दिन श्री कृष्ण की पत्नी राधा रानी का आशीवार्द प्राप्त करने हेतु राधाकुण्ड में डुबकी लगाते हैं। उत्तर भारतीय पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी को इस पर्व को मनाया जाता है।
इस विश्वास के साथ ही प्रति वर्ष हज़ारों की संख्या में जोड़े गोवर्धन पहुंचते हैं, जहाँ वे डुबकी लगाकर राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते है। मध्यरात्रि के समय, जिसे निशिता काल कहा जाता है, यह पवित्र डुबकी लगाने का सर्वश्रेष्ठ समय माना गया है। अतः स्नान मध्यरात्रि से आरम्भ होकर पूरी रात चलता है। अपनी मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो व सफलता के साथ गर्भधारण हो सके, इसलिए दंपत्ति पानी में खड़े होकर कुष्मांडा व कच्चा सफेद कद्दू, जिसे पेठा भी कहा जाता है, राधा रानी को अर्पण करते हैं। कुष्मांडा को लाल वस्त्र में सजाकर अर्पित किया जाता है।
इस व्रत में अहोई माता की पूजा की जाती है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं। शाम को तारों की छांव में कथा सुनकर तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। कई जगह तारे निकलने के बाद अहोई माता की पूजा शुरू होती है। पूजन से पहले पूजा वाली जगह को साफ करके, पूजा का चौक पूरकर, एक लोटे में जल भरकर उसे कलश की तरह चौकी के एक कोने पर रखते हैं और फिर पूजा करते हैं। इसके बाद अहोई अष्टमी व्रत की कथा सुनी जाती है। कथा पढ़ने के बाद आखिर में प्रार्थना करनी चाहिए कि जैसे माता ने उसकी संतान की रक्षा की वैसे सभी की रक्षा करें ।
REPORTED BY – JAHID
PUBLISHED BY – MANOJ KUMAR