लखनऊ(जनमत): एक सितंबर से पूरे देश में केंद्र सरकार द्वारा नया मोटर वाहन अधिनियम लागू हो गया है| केंद्र सरकार द्वारा तैयार संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पहले के मुकाबले, संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में कई गुना ज्यादा जुर्माने का प्रावधान है। देश भर में दो पहिया और चार पहिया सभी वाहनों के लिए प्रदूषण प्रमाण पत्र, सीट बेल्ट, हेलमेट, ड्राइविंग लाईसेसं और गाड़ी के पेपर अनिवार्य हो गया है।
वही कई राज्यों ने काफी बवाल होने के कारण अपने अपने राज्य मै इस बढे हुई जुर्माने को कम करने मै लगी हुई है और कुछ राज्यों ने इसे कम भी कर दिया है|वही अब अन्य राज्यों को देखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी नये ‘मोटर व्हीकल एक्ट-2019’ में निर्धारित जुर्माने की दर कम करने की सोच रही है। सरकार परिवहन विभाग के अधिकारियों को शमन शुल्क वसूलने का अधिकार देते समय कैबिनेट के जरिये आम लोगों को राहत देने के बारे सोच रही है। वही अब परिवहन विभाग इस पर मंथन कर रहा है।
लोगो को राहत देने के लिए जुर्माना शुल्क की नई दरें तय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब तक यह मसला चर्चाओं और संभावनाओं में था कि केंद्र सरकार द्वारा यातायात नियमों के उल्लंघन पर तय किए गए नए जुर्माने से उत्तर प्रदेश सरकार कुछ राहत दे सकती है। संभावना है कि वाहन चलाते समय उन अपराधों के जुर्माने की दर कम की जा सकती है, जो शमनीय श्रेणी के हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि जनसामान्य को सीट बेल्ट, हेल्मेट न पहनने, नाबालिग के वाहन चलाने सरीखे मानवीय जीवन को खतरे से जुड़े जुर्माने में राहत नहीं दी जाएगी।
सरकार ओवरलोडिंग, मौके पर ड्राइविंग लाइसेंस न होने व भूलवश यातायात नियमों के उल्लंघन में कड़े जुर्माने में जरूर राहत देने पर विचार कर रही है। बता दे कि केंद्रीय एक्ट में राज्य सरकारों को शमनीय अपराधों के लिए केंद्र द्वारा निर्धारित जुर्माने की दर को अपने स्तर पर घटाने-बढ़ाने का अधिकार है।इसके लिए जल्द उत्तर प्रदेश सरकार मोटर वाहन एक्ट से जुडी नियमवाली को जल्द ही कैबिनेट में लायेगी इसके नियमों में ही विभिन्न दरें तय की जाएंगी। संशोधित दर में आम लोगों को पहले की तुलना में कुछ राहत दी जा सकती है|
Posted By:- Amitabh Chaubey
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