पल्मोनरी वाल्व बलून डाईलेटेशन विधि से बची मरीज की “जान”…

UP Special News

मेरठ (जनमत) :- मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डा वी डी पाण्डेय ने बताया कि आशी उम्र 17 वर्ष निवासिनी मुल्तान नगर मेरठ, जनपद मेरठ सीने में तेज दर्द और सांस फूलने की शिकायत के साथ कार्डियोलॉजी ओपीडी में डा सी बी पाण्डेय से परामर्श लेने पहुंची आशी ओ पी डी में बेहोश हो गई। प्रारंभिक स्थिरीकरण के बाद, उसके पिछले दस्तावेज़ों का अवलोकन करने से ज्ञात हुआ कि वो गंभीर पल्मोनरी वाल्व स्टेनोसिस रोग से ग्रसित है। ओपीडी में की गई दोबारा जांच से रोग की पुष्टि हुई। पल्मोनरी स्टेनोसिस – पाल्मोनरी आर्टरी (जो रक्त के शुद्धिकरण के लिए हृदय से फेफड़ों तक रक्त ले जाती है ) के वाल्व की जन्मजात संकीर्णता (सिकुड़न) है। पल्मोनरी वाल्व के सिकुड़ने के कारण फेफड़ों में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है, जिससे कार्डियक आउटपुट कम हो जाता है, हाइपोटेंशन (ब्लड प्रेशर कम हो जाना), सांस फूलना और एनजाइना जैसे सिम्पटम्स होते हैं। कार्डियक आउटपुट में कमी के कारण, मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति भी बाधित हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप बेहोशी की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

डा सी बी पाण्डेय सहायक आचार्य हृदय रोग विभाग ने बताया कि जन्मजात हृदय रोग का इलाज पल्मोनरी वाल्व बैलून डाइलेटेशन (पी.वी.बी.डी.) विधि द्वारा संभव है, जो कि पैर की फेमोरल वेन (जांघ की एक बड़ी नस) के माध्यम से पल्मोनरी धमनी में एक गुब्बारा डालकर, गुब्बारे को पल्मोनरी वाल्व के स्तर पर डाइलेट (फैलाना) कर के किया जाता है जिससे की वाल्व की सिकुड़न दूर हो जाए। यह प्रक्रिया अत्यधिक प्रभावी है, तत्काल राहत प्रदान करती है और इसमें किसी चीरे या ओपन-हार्ट सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती है। मरीज के तीमारदार को प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया उन्होंने स्वीकृति प्रदान की। निर्धारित प्रक्रिया के साथ मरीज को भर्ती कर लिया गया। परन्तु रोगी को एनजाइना, सांस की तकलीफ होती रही और वह एक बार फिर बेहोश हो गई । उसकी हालत की गंभीरता को देखते हुए उसे उसी दिन रात 9 बजे आपातस्थित के दृष्टिगत पीवीबीडी के लिए कैथ लैब ले जाया गया। पीवीबीडी विधि द्वारा आपरेशन सफल रहा और मरीज को लक्षणों से तत्काल राहत मिल गई। मरीज अब पूरी तरह से लक्षण रहित, चिकित्सीय रूप से स्थिर और डिस्चार्ज (छुट्टी) के लिए फिट है।

प्रधानाचार्य डा आर सी गुप्ता ने कहा कि हालाँकि यह पहली बार नहीं है जब मेडिकल अस्पताल में पीवीबीडी विधि का प्रयोग किया गया है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि इस बार पीवीबीडी एक आपातकालीन जीवन-रक्षक प्रक्रिया के रूप में किया गया है और हम रोगी को तत्काल राहत प्रदान करने में सक्षम रहे। मैं डा सी बी पाण्डेय, डा शशांक पाण्डेय एवम उनकी पुरी टीम को सफल ऑपरेशन के लिए बधाई देता हूं।

REPORT- NARENDRA GAUTAM…

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…