संघ का पंच परिवर्तन ही भारत को महाशक्ति बनाएगा – हरिनाथ भाई

UP Special News

गोरखपुर/जनमत 29 अक्टूबर 2024। लीलापुरुषोत्तम भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में संघ के दस दिवसीय शिविर में अन्य मुद्दों के अलावें, जिस पंच परिवर्तन पर जोर दिया गया उससे भारत निश्चित रूप से अपना सर्वांगीण विकास करते हुए, विश्व के सामने महाशक्ति बन कर उभरेगा। संघ का यह निर्णय, निश्चित रूप से सराहनीय, स्वागत योग्य और सर्वग्राही है।”
यह विचार बाल स्वयंसेवक,भाजपा के पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष और उप्र एससी एसटी आयोग के पूर्व सदस्य हरिनाथ भाई के हैं। एक मुलाकात में उन्होंने बताया कि मथुरा में गत् दस दिनों तक संघ की जो अखिल भारतीय कार्यकारिणी की बैठक में सर संघचालक श्री मोहन भागवत जी और सर कार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबोले जी की गरिमामई उपस्थिति में जिस “पंच परिवर्तन” का निर्णय लिया गया वह समुद्र मंथन से निकले अमृत के समान है।
भाई जी ने पंच परिवर्तन के बारे में बताया कि यह नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, कुटुम्ब प्रबंधन और स्वदेशी है। आज कल देखनें को मिलता है कि लोग अधिकार की बात करते हैं, इसके लिए लड़ाई – झगड़ा तथा धरना प्रदर्शन तो करते हैं किन्तु जब कर्तव्य की बात आती है तो, सांप सूंघ जाता है। जब कि नागरिकों की प्राथमिकता समाज और देश के प्रति अपनें उच्च आदर्शों वाले, कर्तव्यों के प्रति भी होनी चाहिए। इसी प्रकार पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूकता होनी चाहिए। मनुष्य का संरक्षण और विनाश, इसी पर निर्भर करता है। मौजूदा स्थिति, चिन्ताजनक है।
सामाजिक समरसता का अभाव, समाज और देश को कमजोर बनाता है। हालांकि, इस पर सरकार की कई नीतियां और योजनाएं काम कर रही है, फिर भी बेहिचक कहा जा सकता है कि अभी स्थिति, सन्तोषजनक नहीं है। सबसे दयनीय स्थिति तो आज कल कुटुम्ब की है। संयुक्त परिवार जहां माॅं-बाप के अलावें, दादा-दादी, बड़े पापा-बड़ी अम्मा, चाचा-चाची, ताऊ, बूआ,भतीजा, पोता आदि रिश्ते हुआ करते थे। एक हंसता-खेलता और सुख-दुख का साथी, परिवार हुआ करता था, आज मम्मी-पापा और बेटा-बेटी में सिमटता जा रहा है। बृहद से एकांकी होता जा रहा है परिवार। इसे रोकना होगा और अपना पुराना गरिमामयी परिवार बनाना होगा।
जहां तक स्वदेशी की बात है, इसे तो सभी लोग जानते हैं कि आजादी के आन्दोलन के समय स्वदेशी, अभियान चला था। विदेशी सामानों की होली जलाई गई थी, किन्तु आज, उन्हीं विदेशी सामानों के प्रति दिवानगी सी दिखाई देती है। यह ग़लत है क्योंकि यह अपने देश के कारीगरों का अपमान तथा विदेशियों के सामने, अपने देश को ग़रीब और कमजोर साबित करना है। गर्व से अपनें देश के उत्पात का उपभोग करना चाहिए।
हरिनाथ भाई ने कहा कि सभी जानते हैं कि अगले वर्ष जब हम सब संघ की शताब्दी वर्ष मनाएंगे, ऐसी स्थिति में संघ का उपरोक्त निर्णय, सराहनीय तथा अनुकरणीय है। अतः हर ब्यक्ति को उक्त ‘पंच परिवर्तन’ के लिए कटिबद्ध होना चाहिए। निश्चय ही हम होंगे कामयाब।

REPORTED BY – KAMLESH MANI BHATT

PUBLISHED BY – MANOJ KUMAR