फर्रुखाबाद (जनमत) :- यूपी पुलिस अपने कारनामों के लिए हमेशा चर्चा में बनी रहती है, जिसके लिए एक कहावत है न खाता न बही जो दरोगा जी कहें वही सही…. इसी कड़ी में एक आरोपी दारोगा ने अपने ही खिलाफ जांचकर खुद को ही क्लीनचिट दे दी । जी हां ये यूपी पुलिस हैं और फर्रुखाबाद जनपद में सब कुछ मुमकिन है। कोतवाली फर्रुखाबाद में तैनात रहे दारोगा तेज बहादुर सिंह के खिलाफ मारपीट, अवैध रूप से बंधक बनाने और सार्वजनिक रूप से अपमानित करने के एक मामले में दायर याचिका पर एसीजेएम ने रिपोर्ट तलब की तो दारोगा जी ने अपने खिलाफ जांच कर खुद को क्लीनचिट दे दी।
इसी के साथ ही इंस्पेक्टर की जानकारी के बिना ही रिपोर्ट कोर्ट भेज दी गई। न्यायालय ने इस धांधली पर जवाब तलब किया, तब जाकर इस प्रकरण में लिखित माफीनामा देकर कहा गया कि वह अभी नए हैं, उन्हें कोर्ट कचहरी के इन टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी ही नहीं थी। जिसके बाद अपनी पूर्व रिपोर्ट पर ही साथी दारोगा से हस्ताक्षर करा कर फिर से कोर्ट भेज दिया गया। इसके बाद वादी के वकील ने मामला पकड़ा तो न्यायालय ने जांच कोतवाली से छीन कर थाना मऊदरवाजा को दे दी। अब दरोगा को फंसता देख अपर पुलिस अधीक्षक ने उनका पक्ष लेते हुए बताया कि दरोगा ने कोर्ट में इस मामले में मांफी मांग ली है और विधिक रूप से अपने खिलाफ कोई कर्मचारी खुद जांच नहीं कर सकता। अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जब दरोगा ने कोर्ट में लिखित माफीनामा देकर ये कहा है कि वह अभी नए हैं और उन्हें न्यायालय के टेक्निकल बिंदुओं की जानकारी ही नहीं है। इसके बावजूद उच्च अधिकारियों ने अब तक उनके पास लंबित करीब 45 से अधिक जांच का कोई संज्ञान नहीं लिया जो की एक बड़ा सवाल है.
Posted By :- Ankush Pal