गाजीपुर (जनमत) :- उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से हैरान देने वाला मामला सामने आया है,एक तरफ जहां सरकार दिव्यांगो की बेहतरी के लाख दावे कर रही हैं लेकिन वास्तविकता से ये दावे कोसो दूर नज़र आतें हैं. ताज़ा मामला गाजीपुर के मोहमदाबाद के भांवरकोल का है जहाँ दिव्यांग व्यक्ति को मिल रही पेंशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी. चुकी विभागीय कर्मचारियों ने दिव्यांग को दो साल पहले ही मृत घोषित कर दिया है । वहीँ इससे आहत पीड़ित दिव्यांग चंद्रमा राम खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हो गया है और ज़िन्दगी की जद्दोजहद के साथ ही विभागीय कर्मचारियों से अपने हक की गुहार लगा रहा है.
जिला मुख्यालय से तकरीबन 35 किलोमीटर दूर महेशपुर द्वितीय का नकटि-कोल गांव हैं जहां के दलित बस्ती में रहने वाले दिव्यांग दोनों पैरों से चल नहीं सकते और एक हाथ से दिव्यांग है। वहीं उनकी पत्नी एक आंख से देख नहीं सकती लेकिन इस समय प्रशासन ही इनकी ओर आँख मूंदे खड़ा हुआ है, और भ्रष्टाचार का खेल ऐसा है की पात्र दिव्यांग को मृत घोषित कर दिया गया। आपको बता दे कि दिव्यांग पेंशन योजना का लाभ चंद्रमा राम को वर्ष 2008 से मिल रही हैं लेकिन 2017 मे उन्हें मृत घोषित करते हुए मिलने वाली दिव्यांग पेंशन ही बंद कर दी गई जिससे परेशान दिवयंग ने ब्लॉक के संबंधित अधिकारियों को जानकारी दी और अपने जीवित होने का प्रमाण भी दिया लेकिन निराशा ही हाथ लगी। अब यह दिव्यांग अपने हक के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर है. वहीँ इस मामले में जिलाधिकारी ने बताया कि राशन कार्ड और पेंशन की तत्काल जांच कराई जाएगी। साथ ही जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों की लापरवाही से अगर ऐसा हुआ है तो उनके खिलाफ भी सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।