लखनऊ (जनमत) :- उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहाँ एक तरफ भ्रस्टाचार के खिलाफ लड़ने का दावा कर रही है और हर मामले में पारदर्शिता बरतने का वायदा करती दिख रही है, वहीँ चीराग तले अंधरे वाली कहावत भी साकार होती नज़र आ रही है, ताज़े मामले ने जहाँ सरकार के सभी दावो की पोल खोलकर रख दी वहीँ, विभाग के अन्दर ही भ्रस्टाचार की जड़े व्याप्त हैं. आपको बता दे की एक टीवी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन के बाद सरकार ने तीन वरिष्ठ मंत्रियों के निजी सचिवों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं। इस स्टिंग ऑपरेशन में निजी सचिव ट्रांसफर, अनुबंध एवं ठेके दिए जाने और किताबों के अनुबंध का सौदा किये जाने के नाम पर लाखो की रिश्वत मांगते नज़र आ रहें हैं.
यह भी पढ़े – आज है बॉलीवुड के “भाईजान” का जन्मदिन…
वहीँ जानकारी मिल रही है की अब इस प्रकरण के बाद इन निजी सचिवो का निलंबित होना तय माना जा रहा है. आपको बता दे की इस स्टिंग ऑपरेशन में खनन राज्य मंत्री की सचिव अर्चना पांडे संवाददाता से सौदा करती देखी जा सकती हैं, जिसमें लगभग आधा दर्जन जिलों के खनन सौदे उनके पक्ष में किए जाने को लेकर सौदा हो रहा है। वहीँ दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री के निजी सचिव संतोष अवस्थी संदीप सिंह भी इस स्टिंग ऑपरेशन में किताबों के अनुबंध पर सौदा करते देखे जा सकते हैं। वहीँ पिछड़ा वर्ग के मंत्री ओमप्रकाश राजभर के निजी सचिव ओमप्रकाश कश्यप कथित तौर पर एक ट्रांसफर के लिए 40 लाख रुपये की रिश्वत मांगते देखे जा सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को इस स्टिंग ऑपरेशन से तगड़ा झटका लगा है जिसने सरकार की साफ सुथरी छवि पर बट्टा लगा दिया है.