गोरखपुर जिला चिकित्सालय के ओपीडी परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र पर मरीज ने लगाए गम्भीर आरोप

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गोरखपुर(जनमत) :-  भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र के जरिए गरीब मरीजों को सस्ते दामों पर जेनेरिक दवाई उपलब्ध उपलब्ध होती हैं।हालांकि अब यहां भी भ्रष्टाचार अपने पैर पसारना शुरू कर दिया है बात करें जिला चिकित्सालय के ओपीडी परिसर में स्थित जन औषधि केंद्र की तो यहां आने वाले कई मरीज ने केंद्र पर बाहर की दवाओं को बेचने और दवाओं की पर्ची नही देने आरोप लगाते हुए,सम्बंधित अधिकारी को शिकायती पत्र दिया है।हालांकि पहला शिकायती पत्र 20 जनवरी 2024 में दिया गया। था।जिसकी जांच अभी चली ही रही हैं।तभी 04 मार्च 2024 को एक महिला मरीज ने जिला चिकित्सालय के एसआईसी को लिखित तौर पर शिकायत पत्र देकर इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग किया है।

आपको बताते चलें की जन औषधि केंद्र पर गरीब मरीजों के लिए सस्ते दाम पर जेनरिक दवाएं उपलब्ध रहते हैं। ऐसे में लोग भरोसा करके वहां आते हैं और भारत सरकार के इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ लेते हैं।लेकिन अब यहा भी भष्टाचार का बोलबाला शुरू हो गया है।हालांकि इस संबंध में जब जिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कई बार मुझे शिकायती पत्र मिले हैं।मैं अपने स्तर से जांच कर रहा हूं।इसके अलावा मैंने अपने माध्यम से जिलाधिकारी महोदय,सीएमओ,ड्रग विभाग सहित शासन को भी पत्र लिख चुका हु।लेकिन कहीं से कोई जवाब अभी तक नहीं आया है।लेकिन जल्द ही पूरे मामले की जांच पूरी हो जाएगी और कार्रवाई भी होगी। उन्होंने यह भी कहा यह विभाग मेरे अधीन नहीं आता है।इसलिए मैंने सभी उच्च अधिकारियों को मामले से अवगत करा दिया है जल्द ही इन पर कार्रवाई हो सकती है।हालांकि जनवरी में हुई शिकायत की अभी जांच चल रही है।मार्च में भी मरीज ने शिकायत किया गया है। लगभग 3 महीने होने को हैं।लेकिन अभी तक जांच चल ही रहा हैं। अब जांच कब पूरी होगी और क्या करवाई होगी यह समय बताएगा।लेकिन जो लोग अपने अधिकारों को जानते हुए।वह लोग ऐसे लोगो की शिकायत करते हैं।बाकी तमाम ऐसे भी लोग हैं जो बेवजह पैसे जाने के बाद भी ऐसे पचड़ो में नही पड़ना चाहते हैं।हालांकि अब सरकार की योजनाओं पर भ्रष्टाचार का ग्रहण लगाने वाले ऐसे लोगों पर जांच कर कब करवाई होती है यह तो समय बताएगा लेकिन कहीं ना कहीं महीने बीते चले जा रहे हैं लेकिन जांच अभी ठंडा बस्ते में पड़ा है।

PUBLISHED BY – GAURAV UPADHYAY