लखनऊ (जनमत) :- यूपी के राजधानी लखनऊ में स्थित डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ द्वारा चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जोकि राज्य में शोध एवं चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के विकास में अन्य चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों के लिए एक मशाल वाहक व मील का पत्थर साबित होगा। समाज पर अनुसंधान एवं संबंधित चिकित्सा शिक्षा के प्रभाव व उसकी महत्वपूर्णता को नकारा नहीं जा सकता है।चिकित्सा शोध पत्रिकाओं (जर्नल्स) और पाठ्य पुस्तकों में प्रकाशित शोधपत्र ही भविष्य में चिकित्सा और स्वास्थ्य उपचार की आधारशिला व मार्गदर्शक सिद्धांत बनते हैं।
डॉ० राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ के कम्युनिटी मेडिसन विभाग द्वारा 17 मई 2022 को मेडेली सॉफ्टवेयर (MENDELEY Reference Management System) का उपयोग करते हुए रिफरेन्स मैनेजमेंट एवं प्रीडेटोरी जर्नल्स (हिसक दुराचारी शोध पत्रिकाओं) की पहचान पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों बिहार और उत्तराखंड के मेडिकल कॉलेजों (एम्स पटना, बीएचयू, एमएलबी झांसी, लखनऊ और आसपास के क्षेत्रों) के 40 संकाय सदस्य, जूनियर एवं सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स एवंरिसर्च स्कॉलर्स व युवा शोधकर्ताओं ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्घाटन संस्थान की निदेशक प्रो. (डा०) सोनिया नित्यानंद जो कि स्वयं एक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शोध वैज्ञानिक हैं द्वारा किया गया। प्रो. (डा०) सोनिया नित्यानंद ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रीडेटरी एंड फ्रॉड जर्नल्स एक वैश्विक चिंता का विषय है।
प्रीडेटरी / क्लोन और फर्जी जर्नल के बारे में मेडिकल छात्रों / शिक्षकों एवं शोधकर्ताओं को जागरूक करने की जरूरत है। पदोन्नति के लिए प्रकाशन अनिवार्य होने के कारण, सकाय और युवा शोधकर्ताओं पर अपने शोध लेख को प्रकाशित करने का दबाय होता है। युवा सकाय और शोधकर्ताओं के प्रीडेटरी / क्लोन पत्रिकाओं के जाल में फंसने की संभावना है। स्क्रीनिंग कमेटी द्वारा भी प्रस्तुत प्रकाशनों की सूची में अन्य विषयों के शोध पत्रों को जांचना कठिन होता है, ऐसे में ऐसी कार्यशालोओ की बहुत उपयोगिता है।कार्यशाला की गेस्ट फैकल्टी विख्यात शोधकर्ता डॉ सुमित नरूला, एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन के निदेशक / संस्थान के प्रमुख एंड डिप्टी डीन रिसर्च (प्रकाशन और उद्धरण), एमिटी विश्वविद्यालय, ग्वालियर, एमपी थी। प्रीडेटरी, शिकारी और क्लोन जर्नल की पहचान करने के लिए प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया गया। विभिन्न पत्रिकाओं के एच इंडेक्स साइट स्कोर द्वारा उद्धृत इम्पैक्ट फैक्टर की शुद्धता की पहचान करने पर चर्चा हुई। अपनी वेबसाइट पर पत्रिकाओं द्वारा उद्धृत अनुक्रमण की प्रामाणिकता की जाँच का प्रदर्शन किया गया।
REPORT- SAILENDRA SHARMA…
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…