प्रतापगढ़(जनमत). आज हम आपको एक ऐसे घर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां से 1 नहीं, 2 नहीं, 3 नहीं बल्कि पूरे के पुरे 4 आइएएस अधिकारी निकले हैं ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है की एक ही परिवार से इतने बच्चे अधिकारी बन कर निकले है| सब से बड़ी बात ये है की ये 4 सगे भाई-बहन हैं| जी हा आज हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश के अनिल मिश्रा की जो दुनिया के सबसे भाग्यशाली पिता हैं, जिनके 4 बच्चे आइएएस अधिकारी हैं, आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में रहने वाले अनिल मिश्रा के 4 बच्चे हैं|
जिसमें तीन बेटे और एक बेटी है उनके ये 4 बच्चे आज आइएएस अधिकारी हैं| अनिल ने बताया कि उन्हें अपने बच्चों पर पूरा गर्व के साथ ही साथ विश्वास था कि वो अपनी ज़िंदगी में बड़े अधिकारी बनेगे अनिल ख़ुद एक सरकारी बैंक में मैनेजर हैं अनिल के लिए ये एक सपने जैसा ही है कि उनके 4 बच्चे सरकारी विभाग के इतने बड़े अधिकारी बन गए हैं| अपनी ज़िंदगी सादगी से जीने वाले किसी भी पिता के लिए ये एक सपने जैसा ही है कि उनके 4 बच्चे सरकारी विभाग के इतने बड़े अधिकारी बन गए हैं|
2 बच्चों ने पिछले वर्ष इस परिक्षा में कामयाबी हासिल की थी| वहीं इस वर्ष 2 बच्चों ने परिक्षा में पास हो कर अपने पिता के सपने को हकीक़त में बदल दिया| उनके 4 बच्चे जो आइएएस अधिकारी हैं। वही अनिल की सब से बड़ी बेटी क्षमा मिश्रा आई.पी.एस हैं, जबकि उनसे छोटे बेटे योगेश आइएएस हैं। वहीं, माधवी और लोकेश दोनों आइएएस इनसे छोटे हैं। उनके बेटे योगेश ने बताया कि, हम सभी अपने पैतृक गांव लालगंज में रहकर ही 12वीं तक पढ़ाई की। उसके बाद वो मोती लाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान से बीटेक करने के बाद इलाहाबाद चले गए।
वही उन्हें नोएडा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी मिल गई बाद मै वो भी 2013 में आइएएस बन गए। क्षमा ने M.A तक की पढ़ाई की। शुरुआत में क्षमा का चयन 2015 में डिप्टी एस.पी के रूप में हुआ। लेकिन अगले ही वर्ष वह फिर से परीक्षा देने के बाद 2016 में वो आई.पी.एस बन गई। वही दूसरी छोटी बहन माधवी ने ग्रैजुएशन करने के बाद इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रैजुएशन किया फिर वो बाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आगे की पढाई करने चली गईं। इलाहाबाद में पढ़ाई पूरी होने के बाद वो जेएनयू दिल्ली में रिसर्च करने के दौरान ही 2016 में उनका चयन आइएएस में हो गया।
सबसे छोटे भाई लोकेश ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कैमिकल इंजीनयरिंग करने के बाद राजस्थान के कोटा में एक फर्टिलाइजर कंपनी में नौकरी की। 2015 में पी.सी.एस की परीक्षा पास कर विकास खंड अधिकारी (BDO) हुआ। लेकिन उसके बाद उन्होंने दुबारा से महनत कर फिर सिविल सर्विस की परीक्षा दी और 2016 में वो भी आइएएस हो गए।