लखनऊ(जनमत):- पुलिस सुधार पर चंद खाकी के रखवाले खाकी की साख पर बट्टा लगाने से बाज नहीं आते । थाने में जब्त की गई या फिर सीज की गई प्रॉपर्टी का क्या हाल होता है यह शायद ही किसी से छिपा हो। इसके अलावा आम तौर पर चालान की गई गाड़ी से यह फिर अपराधियों से बरामद की गई गाड़ी से पुलिस कैसे बेगारी करती है यह तो वही जानता है जो गाड़ी मालिक होता है। पुलिस की यह आदत कभी – कभी उसके लिए सामत का भी सबब बन जाती है। ऐसा ही हुआ पुलिस कमिश्नरी लखनऊ में।
यहाँ की गोमतीनगर पुलिस जबरन एक छात्र की स्कॉर्पियो गाड़ी का चालान कर थाने ले आई थी। अगले दिन जब छात्र थाने पंहुचा तो गाड़ी वहा न देखकर हैरान हो गया। उसे लगा कि पुलिस की सुरक्षा में सेंध लगाकर उसकी गाड़ी चोरी कर ली गई है। छात्र ने गाड़ी का जीपीएस सिस्टम ऑन किया तो पता लगा गाड़ी कई किलोमीटर दूर है। इसके बाद छात्र इंजन को लॉक करने के साथ पूरी गाड़ी को भी लॉक कर दिया। यहाँ पीड़ित को जो लगा वो किया लेकिन वह इससे अंजान था कि गाड़ी में पुलिस वाले सवार थे और वो उसी में कैद हो गए थे ।
दरअसल लखनऊ में गोमतीनगर के चर्चित अलखनंदा अपार्टमेंट में छात्र प्रशांत सिंह की हत्या के मुख्य आरोपी अर्पण शुक्ला लखीमपुर जेल में बंद है। उसका बयान लेने के लिए गोमतीनगर पुलिस ने छात्र की ही गाड़ी का इस्तेमाल किया था। बाद में थाना प्रभारी द्वारा लिखित में गाड़ी की जिम्मेदारी लेने पर छात्र ने गाड़ी को अनलॉक किया तो गाड़ी में बंधक बने पुलिस कर्मी मुक्त हो पाए। इस मामले में पीड़ित छात्र के रिश्तेदार भाजपा विधायक ने मामले की शिकायत पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय से की तो पूरे मामले का खुलासा हो गया।
मामले में दोषी मानते हुए थाना प्रभारी को लाइन हाजिर किया जा चुका है। संयुक्त पुलिस आयुक्त अपराध नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि पुलिस के गैर जिम्मेदाराना कार्य के लिए उचित कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस के पास पर्याप्त साधन है उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। आगे इस तरह की घटना न हो इस पर ध्यान दिया जा रहा है। जॉइंट सीपी क्राइम ने यह भी बताया कि मामले में विधिक कार्रवाई के साथ विभागीय कार्रवाई भी की जा रही है।
Posted By:- Amitabh Chaubey