लखनऊ(जनमत):- नवाबों के शहर पुराने लखनऊ में हर साल की तरह इस साल भी मोहर्रम का त्यौहार बड़े ही सुरक्षा व्यवस्था के बीच मनाया जा रहा है। आपको बताते चलें कि पैगम्बर इस्लाम हज़रत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत दस मोहर्रम को कर्बला के मैदान मे हुई थी। इस दिन को यौमे आशूर के दिन के नाम से जाना जाता है ।
यौमे आशूर से पहले नौ मोहर्रम की रात पुराने लखनऊ मे नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से शब-ए-आशूर का जुलूस निकाला गया । जुलूस से पहले शिया मौलाना कल्बे जव्वाद साहब ने मजलिस पढ़ी। मजलिस के बाद शिया समुदाय ने गमज़दा माहौल में शब-ए-आशूर का जुलूस निकाला । नाज़िम साहब के इमाम बाड़े से शुरू हुआ शब-ए-आशूर का जुलूस अकबरी गेट ,नख्खास, टुडियागंज , गिरधारी सिंह इन्टर कालेज और मंसूर नगर होते हुए दरगाह हज़रत अब्बास मे देर रात सम्पन्न हुआ। शब-ए-आशूर के जुलूस को शान्तीपूर्ण माहौल मे सम्पन्न कराने के लिए एडीजी जोन,एसएसपी कलानिधि नैथानी ने पहले से ही सुरक्षा की पुख्ता तैयारी करते हुए जुलूस के पूरे मार्ग को पुलिस छावनी मे तब्दील कर दिया था।
संवेदनशील माने जाने वाले बिल्लौचपुरा चैराहे पर अमन कमेटी और सिविल डिफेन्स के साथ पुलिस अफसर भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे । शब-ए-आशूर का जुलूस पूरी अकीदत के साथ शान्तीपूर्ण माहौल मे निकाला गया। जुलूस मे शामिल अजादार कमा और छुरियो का मातम भी कर रहे है। शब-ए-आशूर की पूरी रात लाखो लोग जाग कर इबादत मे गुज़ारने के बाद दसवीं मोहर्रम को यौमे आशूर का जुलूस निकालते है।