रामपुर (जनमत) :- दूर मुझसे हो गया बचपन मगर…मुझमें बच्चे सा ये मचलता कौन है?….कहते हैं कि बचपन उम्र या किसी पद का मोहताज नहीं होता। खासतौर पर जब आपके सामने स्कूली बच्चे हो और क्लास चल रही हो। जी हां! ऐसा ही कुछ नजारा रामपुर ज़िले में देखने को मिला जहाँ रामपुर के जिलाधिकारी …. अध्यापक बनकर छात्र/छात्रों को पढ़ाने लगे तो निचले अधिकारियों ने भी देश के नौनिहालों को पाठ पढ़ाने में जरा भी देर नहीं की …. रामपुर ज़िले में जिलाधिकारी की पाठशाला… जिले की तहसील स्वार में खेमपुर स्थित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के आकस्मिक निरीक्षण के दौरान चली, जहाँ बच्चों को पढता देख जिलाधिकारी खुद को रोक नहीं पाए और देश के नौनिहालों को पढ़ाने में जुट गए.
आपको बता दे कि माध्यमिक विद्यालय के निरीक्षण के समय जब वो पूरे स्कूल का जायजा ले रहे थे तभी उनकी नजर छठवीं क्लास में पढ़ रहे बच्चों पर पड़ी और वे अचानक ही क्लास रूम में पहुंच गये … और देखते ही देखते जिलाधिकारी कुछ ही समय में अध्यापक के रूप में बदल गएँ. हाथ में डस्टर तेजी से ब्लैकबोर्ड पर फिसलने लगा और बच्चों के मन में तरह तरह की जिज्ञासायें उमडने लगीं।जब एक बार बच्चों से सवाल जवाब का सिलसिला शुरू हुआ तो बात सामान्य ज्ञान से शुरू होकर पडोसी देशों तक जा पहुंची। फिर क्या था मास्टर बने डीएम ने बच्चों के सवालों के न सिर्फ जवाब दिये बल्कि पडोसी देशों के बारे में सामान्य जानकारी भी दी। इसके बाद स्कूल के निरीक्षण के दौरान मिड डे मील और तमाम प्रकार की सुविधाओं को सुधारने के निर्देश भी दिये। बचपन का दौर बेहद सुहाना होता है…..