उत्तर प्रदेश- जनपद – लखनऊ :- उत्तर प्रदेश में अगर माया-अखिलेश का गठबंधन 2019 में बीजेपी के खिलाफ मैदान में उतरा तो 2019 में बीजेपी के लिए सूबे में 2014 जैसे नतीजे दोहराना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन हो जाएगा. और इस गठबंधन को लेकर इशारों ही इशारों में एक बार फिर से संदेश दिया है। गोरखपुर फूलपुर और उपचुनाव में हुए प्रयोग के नतीजों ने सपा-बसपा को उम्मीद से भर दिया है.
वहीँ पहली बार 1993 में राममंदिर आंदोलन के दौर में बीजेपी की लहर को रोकने के लिए कांशीराम और मुलायम सिंह ने हाथ मिलाया था. इसका असर था कि बीजेपी सूबे की सत्ता में नहीं आ सकी थी. अब दोबारा 25 साल बाद फिर सपा-बसपा गठबंधन को तैयार हैं. इस बार निशाने पर राज्य की नहीं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार है. 15 अगस्त के लिए जारी किये गये वीडियो में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अब लोहिया और अांबेडकर के अधूरे सपने को पूरा करने का दावाकिया ,जिसका इशारा लोकसभा चुनाव के गठबंधन की ओर है ….दरसल बदलते दौर में गठबंधन के लिए नारे और इशारे बदलने लगे हैं