लखनऊ (जनमत) :- पटना हाईकोर्ट के ताजा फैसले से पकड़ौआ विवाह एक बार फिर चर्चा में आ गया है, दरअसल पकड़ौआ विवाह असल में वो होता है जिसमें शादी के लायक लड़के का अपहरण कर जबरन डरा धमकाकर शादी करवा दी जाती है.हालाँकि देश के कई हिस्सों में ऐसी शादी होती लेकिन उत्तर भारत के बिहार में पकड़ौआ विवाह का इतिहास लगभग 44 साल पुराना है.
बिहार के बेगूसराय जिले में पकड़ौआ विवाह का चलन सबसे ज्यादा था.दरअसल, बेगूसराय भूमिहार बहुल इलाका है और इस समाज में दहेज बहुत ज्यादा चलता है. वहीँ हैरान करने वाली बात ये है की पकड़ौआ विवाह के समर्थन में कहा जाता है की ये शादी दहेज के खिलाफ की जाती है जो की वास्तव में गैरकानूनी होती है, बिहार में पकड़ौआ विवाह के लिए तो गांव में लोग बकायदा लड़कों के अपहरण की सुपारी भी देते हैं. फिलहाल पटना हाईकोर्ट ने एक मामले में अपना फैसला देते हुए दस साल पुरानी शादी को रद्द करार दिया और कहा कि हिंदू शादी तभी मान्य है जब सात फेरे लिए जाए …सातवां फेरा लेते ही शादी पूरी हो जाती है. लेकिन अगर सात फेरे नहीं लिए गए तो शादी अवैध ही मानी जाएगी.
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