अलीगढ़ (जनमत):- ऊपरकोट कोतवाली क्षेत्र के पठान मोहल्ला में 1 सप्ताह पहले बंदरों की घुड़की के चलते 22 दिसंबर को तीसरी मंजिल से गिरकर हुई जीजा की हुई मौत का मामला उसकी ससुराल में अभी शांत भी नहीं पड़ा था कि 20 से 25 बंदरों के झुंड ने मकान की छत पर कपड़े उतारने गई साले की पत्नी पर एक बार फिर हमला कर दिया। जिसके बाद हमला करने वाले बंदर के साथ ही साले की पत्नी छत से नीचे गिर गई। महिला और बंदर को छत से एक साथ नीचे गिरते देख परिवार के लोग मौके पर पहुंचे ओर बंदरों के हमले से जमीन पर गिरकर घायल हुई नजराना को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। बताया जा रहा है कि बंदरों के झुंड द्वारा किए गए हमले में जमीन पर गिरकर घायल हुई साले की पत्नी के हाथों और नाक की हड्डियां टूट गई। वही आपको बता दें कि बंदरों के आतंक के चलते एक सप्ताह पहले तीसरी मंजिल से गिरकर मौत के शिकार हुए मृतक युवक के भाई सैयद वाजिद अली का कहना है कि उसने इलाके में बंदरों की दहशत के चलते नगर निगम को बंदरों से निजात दिलाने को लेकर लिखित शिकायत की थी।
लेकिन बंदरों से निजात दिलाने को लेकर की गई शिकायत पर नगर निगम की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिसके चलते इलाके में कई दर्जन बंदरों का आतंक लगातार जारी है। तो वही नगर निगम की लापरवाही का नतीजा है कि बड़े भाई की मौत के बाद उसके साले की पत्नी पर भी बंदरों ने हमला करते हुए घायल कर दिया |जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के कोतवाली ऊपर कोर्ट इलाके के चौक मोहल्ला निवासी सैयद वाजिद अली का कहना है कि 1 सप्ताह पहले दो दर्जन के करीब बंदरों ने छत पर बैठे उसके बड़े भाई पर हमला बोल दिया था। बंदरों के उस हमले में उसके भाई की तीसरी मंजिल से नीचे गिरकर मौके पर ही मौत हो गई थी।जिसके बाद मंगलवार की शाम करीब 4:30 बजे ऊपरकोट कोतवाली इलाके के पठान मोहल्ले निवासी उसके साले अब्दुल रासू खान की पत्नी नजराना परवीन के ऊपर बंदरों ने उस वक्त हमला बोल दिया जब उसके साले की पत्नी छत पर सूखे कपड़े उतारने के लिए गई थी। तभी छत पर अचानक पहुंचे करीब 20 से 25 बंदरों के एक झुंड ने छत पर कपड़े उतारने गई उसकी सलज नजराना परवीन पर बंदरों ने घुड़की दिखाते हुए हमला बोल दिया।
बंदरों द्वारा एक साथ इकट्ठा होकर किए गए हमले के बाद उसकी सलज नजराना परवीन बंदर के साथ करीब 12 फुट ऊंची छत से नीचे गिर गई। बंदरों के हमले के बाद छत से नीचे गिरने के चलते उसकी दोनों हाथ की हड्डियां टूट गई। जबकि उसकी नाक चकनाचूर हो गई। जिसको गंभीर हालत में मोहल्ले के लोगों की मदद से परिवार के लोगों द्वारा उपचार के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जिसके बाद सैयद वाजिद अली का कहना है कि 40 से 50 बंदरों का झुंड रोजाना मोहल्ले में पहुंचता है। जिसके बाद बंदर बच्चों सहित लोगों को घुड़की दिखाते हुए एक के बाद एक हमले कर रहे हैं। जबकि 1 सप्ताह पहले बंदरों की घुड़की के चलते उसके बड़े भाई माजिद की 22 दिसंबर को 3 मंजिला इमारत से नीचे गिरकर मौत हो गई थी।
बंदरों के आतंक के चलते मौत के शिकार हुए बड़े भाई माजिद अली की मौत के बाद बंदरों की दहशत ओर उनके आतंक से निजात दिलाने को लेकर उसके द्वारा एक लिखित शिकायत नगर निगम में की गई थी। बावजूद इसके शिकायत पर नगर निगम की तरफ से लोगों के लिए आतंक का पर्याय बन चुके बंदरों को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। जिसके चलते बंदरों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि लोगों को देखते ही घुड़की दिखाते हुए हमला कर बच्चों ओर बड़ों को घायल कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि झुंड के रूप में मोहल्ले के अंदर पहुंचने वाले इन बंदरों पर लाठी-डंडों का भी असर नहीं होता। छत पर कपड़े उतारने गई महिला के ऊपर जिस वक्त बंदरों ने हमला किया था। उसके बाद मोहल्ले के लोगों ने लाठी-डंडे लेकर बंदरों को मोहल्ले से भगाने की कोशिश की गई। लेकिन लाठी-डंडों के सामने भी बंदर नहीं भागे। जिसके बाद लोगों ने बंदरों के पर पथराव कर मौके से महिला के ऊपर हमला करने वाले बंदरों को बमुश्किल भगाया गया।
वही मेडिकल कॉलेज में अस्पताल के सफेद बिस्तर पर बंदरों के हमले के बाद जिंदगी और मौत के बीच झूल रही घायल महिला नजराना परवीन का कहना है कि वह छत पर कपड़े उतारने के लिए गई थी। तभी अचानक छत पर पहुंचे 20 से 25 बंदरों के एक झुंड ने घुड़की दिखाते हुए उस पर अटैक करते हुए हमला कर दिया। बंदरों के इस हमले में वह बंदर के साथ ही छत से नीचे गिर गई।