बलरामपुर (जनमत):- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाले उत्तर प्रदेश में अपराध सिर चढ़कर बोलता है इससे तो सभी वाकिफ़ है। लेकिन योगीराज में जिस तरह से लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के प्रहरियों को चुन – चुन कर मारा जा रहा है उससे पूरा लोकतंत्र ही खतरे में पड़ता दिखाई पड़ रहा है। ताजा मामले में जिस तरह से यूपी के बलरामपुर में एक मीडियाकर्मी और उसके साथी की जलाकर हत्या की गई है उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी की कानून व्यावस्था किस हाल में है।
रूह को कंपा देने वाली घटना कोतवाली देहात के कलवारी गांव की है। यहाँ हिंदी दैनिक अखबार राष्ट्रीय स्वरुप के जनपद संवाददाता तकरीबन 35 वर्षीय राकेश कुमार सिंह निर्भीक और उनके साथी 30 वर्षीय पिंटू साहू को दबंगो ने घर के अंदर ही ज़िंदा जला दिया। सनसनीख़ेज घटना में पत्रकार निर्भीक के साथी पिन्टू की तो मौके पर ही मौत हो गई जबकि राकेश सिंह की लखनऊ के ट्रामा सेंटर में ईलाज के दौरान मौत हुई है।
शुरू में स्थानीय पुलिस घटना को संदिग्ध मान रही रही थी लेकिन लखनऊ में जब पत्रकार निर्भीक ने खुद बयान दिया कि बदमाशों ने उसे और उसके साथी को आग लगाईं है। तब यह साफ़ हो गया कि पूरी योजनाबद्ध तरीके से बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया है। अपने साथ हुई आपबीती बताने के बाद पत्रकार राकेश की ईलाज के दौरान दर्दनाक मौत हो गई। मृतक राकेश सिंह निर्भीक की दो बेटियां है। फिलहाल उनके बारे में अभी तक और कोई जानकरी उपलब्ध नहीं हो पाई है।
(मृतक मृतक पत्रकार राकेश सिंह निर्भीक)
सनसनीखेज घटना की खबर जैसे ही आग की तरह फैली उसके बाद मृतक के घर पर विधायक समेत तमाम लोग शोक – संवेदना व्यक्त करने पहुंच गए। इस बीच जनपद के बड़े अधिकारियों ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर फॉरेंसिक टीम की मदद से मामले की तफ्तीश शुरू कर दी है। पुलिस कप्तान देव रंजन वर्मा ने बताया कि शुरूआती जाँच और पूछताछ के बाद दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। पुलिस अधिकारी ने जल्द ही घटना का अनावरण करने की बात कही है।
अभी कुछ दिन पहले की बात है जब एक आपराधिक मामले में अर्नब गोस्वामी को मुंबई में पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। अर्नब की गिरफ़्तारी तो मुंबई में हुई थी लेकिन उसके बाद यूपी में सत्ताधारी पत्रकारों के साथ ही सरकार के नुमाइंदों ने भी खूब छाती पीटी थी। यूपी की बात की जाये तो पत्रकारों को तो यहाँ आये दिन जेल भेजा जाता है यह तो आम बात हो चुकी है लेकिन जिस तरह से पत्रकारों की बेरहमी से जलाकर हत्या कर दी जाती है उसके बाद भी छाती पीटने वाले सत्ताधारी पत्रकार गायब है।