ललितपुर (जनमत):- कोई मध्य प्रदेश से तो कोई गुजरात व कोई राजस्थान से और देश के कौने- कौने से यहां पहुंचे लोगों में मन्नतें पूरी होने पर सदनशाह बाबा के आस्ताने की तो किसी का चेहरा गुलाब की तरह खिल-खिलाया, तो किसी की आंखें नम दिखीं। ललितपुर में सदनशाह बाबा दरगाह परिसर उर्स के चौथे दिन बुधवार को जायरीनों से गुलजार रहा। लाखों की संख्या में पहुंचे जायरीनों ने आस्ताने पर जहाँ चादरपोशी की, तो वहीं दुआ के लिए हाथ उठाते हुए देश में अमन- चैन मांगा। हिन्दू – मुस्लिम एकता के प्रतीक हजरत बाबा सदनशाह रहमत उल्ला अलैह की-सरजमीं पर उनका 106 वाँ उर्स के आखरी दिन भी अपने शबाब पर रहा।
उर्स की रौनक इस समय दरगाह ही नहीं, पूरे जनपद में साफतौर पर दिखाई दे रही है। उर्स के आखरी दिन बुधवार को हजारों जायरीनों ने दर पर मत्था टेक बाबा से दुआएं की। वहीं विभिन्न संगठनों ने धूमधाम से बाबा के आस्ताने पर नूरानी चादर पेश की। बाबा किसकी झोली भरते हैं व किसकी झोली खाली रहेगी। यह तो बाबा पर किये गये विश्वास का नतीजा है, लेकिन इतना अवश्य है कि बाबा की जियारत करने वाले लोगों के चेहरों पर बिखरी संतुष्टि की किरणें बता जाती हैं कि वह किसी मामूली स्थान पर नहीं है।
ललितपुर के लिए यह गौरव की बात है कि बाबा सदन का उर्स देश के ख्याति प्राप्त उर्स में से एक है। यही वजह है कि यहां देश के कौने- कौने से लोग आकर दुआएं करते हैं। ऐसी मान्यता है कि बाबा की दरगाह पर माँगी गई हर एक दुआ पूरी होती है। बुधवार को उर्स के आखरी दिन 106 वें उर्स इजलास में भीड़ का आलम यह था कि चारों तरफ हजारों की तादाद में श्रद्धालु दरगाह परिसर की ओर उमड़ते दिखाई दे रहे थे। जायरीनों की इस भीड़ में अलग-अलग सम्प्रदाय के लोग शामिल हुए जिससे यहां कौमी एकता की मिसाल साफ तौर पर दिखाई दे रही थी।
बाबा सदन की दरगाह पर चादरें चढ़ाने का सिलसिला पूरी रात जारी बना रहा। कौमी एकता के प्रतीक अजीमुश्शान हजरत बाबा सदनशाह रहमत उल्ला अलैह का इस वर्ष 106वाँ उर्स के आखरी दिन फनकार शाकिब ने रात बजे से कब्बाली पढऩे का सिलसिला जब शुरू किया तो श्रोता मंच की तरफ उमडऩे लगे और सहरी तक जमे रहे। कब्बाल शकिब अली ने नात ऐ हम्द, नात ऐ रसूल के बाद मनकवत गजल सुनाई जिसे श्रोताओं के साथ मुख्य संरक्षक राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ मन्त्र मुग्ध हो गये सभी ने कब्बाल की वाह वाही की। शुरुआत में फनकार शाकिब अली खुदा की शान में नात ऐ पाक अल्लाहू-अल्लाहू, जब हरम से अजा की सदा आ गई तो रूह ऐ ईमान को ताजगी मिल गई, तेरे बन्दे चले करने को बन्दगी पंजगाना अदा करने को ऐ खुदा पहुंचे मस्जिद बजूू, अल्लाहू -अल्लाहू पढ़े।
इसके बाद नात ऐ पाक पढऩे का सिलसला शुरू हुआ। उन्होंने नवी का मर्तवा पढ़कर सुनाया, या रसूलुल्लाह या हबीब अल्लाह, मरने के बाद जन्नत उसी को नसीब होगी जो लोग पढ़ रहे हैं कलमा मेरे नवी का मेरे नवी का वल्लाह जलवा क्या हसीं है मेरे नवी का, या रसूलुल्लाह या हबीब अल्लाह। फिर दौर चला मनकवत का कब्बाल शाकिब अली ने हजरत अली मुर्तुजा, ख्वाजा गरीब नवाज और सदनशाह बाबा कि शान में पढ़ा मेरे अंगना मुईनुद्दीन आये हैं आज बाबा सदनशाह दूल्हा बने हैं बने हैं। बरसते हैं रंग हसनी हुसैनी सदनशाह बाबाके आँगन में, मेरे अँगना मुइनुद्दीन आये हैं। आखिर में गजल के बाद सलाम पढ़ी। नमाज के बाद कुल फातिहा हुई। मंच का संचालन जनरल सैकेट्री मोहम्मद नसीम, शाकिर अलीव अरमान कुरैशी ने किया।
Reported By- Suryakant Sharma
Published By- Ambuj Mishra