प्रतापगढ़ (जनमत):- उत्तर प्रदेश के जनपद प्रतापगढ़ के बेल्हा शहर का नजारा शुक्रवार शाम को बिल्कुल बदला दिखा। सूर्यास्त होते ही पूरा शहर रंग – बिरंगी रोशनी से जगमग हो उठा। चौराहे-तिराहों पर डीजे की धुन पर भक्ति गीत बजते रहे। दुल्हन की तरह सजा चौक घंटाघर सतरंगी रोशनी बिखेर रहा था। उधर से गुजरने वाला हर शख्स एकबारगी से ठिठक कर निहारने के बाद ही आगे बढ़ रहा था। शहर की अलग-अलग सड़कों पर भक्तिमय प्रस्तुति देने के लिए कलात्मक चौकियों के कलाकार तैयारी में जुटे रहे।
बेल्हा का ऐतिहासिक भरत मिलाप स्थानीय लोगों के लिए किसी पर्व से कम नहीं माना जाता। दूर-दूर से तमाम रिश्तेदार भी इस दिन के इंतजार में लोगों के घर आ पहुँचे। शुक्रवार को सुबह से ही पूरे शहर में हलचल दिखी। श्रीरामलीला समिति के पदाधिकारी, दुकानदार सहित आम लोग भी व्यस्त दिखे। कोई दुकान सजाने में तो कोई अपना दैनिक काम निपटाने की जल्दी में दिखा। दरअसल हर शख्स को शाम होने का इंतजार था। जैसे ही सूर्यास्त हुआ, पूरा शहर रंग-बिरंगी रोशनी से नहा उठा। चौक घंटाघर की सतरंगी रोशनी सबसे अधिक आकर्षित कर रही थी। इसके अलावा चिलबिला से भंगवा चुंगी तक हाइवे सहित मोहल्लों को जोड़ने वाली सड़कों को भी दूधिया रोशनी से सजाया गया था।
यही नहीं दलों के अलावा श्रीराम तिराहा, राजापाल चौराहा, सदर मोड़, बाबागंज, स्टेशन रोड पर कई जगह डीजे की धुन पर बज रहे भक्तिमय गीत पर डांस करती युवाओं की टीम भी आकर्षण का केंद्र रही। श्रीरामलीला समिति की ओर से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का रथ शुक्रवार सुबह से ही गोपाल मंदिर में सजाया जा रहा था। रात तकरीबन आठ बजे भगवान श्रीराम रथ पर सवार हुए तो सबसे पहले श्रीरामलीला समिति के संरक्षक जयनारयण अग्रवाल, रोशनलाल उमरवैश्य, अध्यक्ष संजय खंडेलवाल, महामंत्री विपिन गुप्ता, संयोजक दिनेश सिंह दिन्नू ने पूजन के बाद भगवान श्रीराम की आरती उतारी। इसके बाद गाजे-बाजे के साथ रथ आगे बढ़ा।
इसके साथ ही हनुमान दल, भरत दल व लवकुश दल भी अपने निर्धारित स्थल से रवाना किए गए। दलों के साथ निकली कलात्मक चौकियों की भक्तिमय प्रस्तुति देखने के लिए जिले के साथ पड़ोसी जनपदों के भी हजारों श्रद्धालु सड़कों पर परिवार के साथ डटे रहे। ऐतिहासिक भरत मिलाप में भक्तिमय प्रस्तुति के लिए आयोजकों की ओर से कानपुर, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, सुलतानपुर के साथ स्थानीय कलात्मक चौकियों के कलाकार बुलाए गए थे। शुक्रवार रात दलों के निकलने के साथ ही कलात्मक चौकियों का प्रदर्शन शुरू हो गया। जिसे देखने के लिए लोग आपस में धक्का-मुक्की नजदीक पहुँचने की जद्दोजहद करते दिखे।