गोरखपुर (जनमत):- प्रदेश का पहला रिसोर्स रिकवरी सेंटर (कूड़ा प्रबंधन केंद्र) गोरखपुर में बनकर तैयार हो गया है। इसका संचालन महिलाएं संभाल रहीं है। ग्राम पंचायत कोठा, ब्लॉक कौड़ीराम को, प्रदेश के 15 मॉडल गांव में चयनित किया गया था। जहां पर यह सेंटर अब काम करना शुरू कर दिया है। यहां प्रतिदिन होगा करीब पांच सौ घरों से डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन महिलाएं करने में जुट गई हैं। अंबेडकर स्वयं सहायता समूह की बारह महिलाओं के द्वारा यह कार्य किया जायेगा।
टेस्ट एंड रन में यह कार्य शुरू करते हुए पंचायत राज विभाग इन्हे प्रशिक्षण भी दे रहा है। कूड़ा कलेक्शन में ग्राम पंचायत द्वारा ई-रिक्शा का प्रयोग किया जायेगा। इस रिसोर्स रिकवरी सेंटर में वाटर हार्वेस्टिंग का भी विशेष ध्यान रखा गया है। इन सभी तकनीकी पहलुओं की जानकारी विषय विशेषज्ञ, महिलाओं को ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की दे रहे हैं। जो एक तरफ महिला सशक्तिकरण का बड़ा नजीर पेश कर रहा है। नगरीय क्षेत्र को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त बनाने की हो रही पहल के बीच, इस गांव से जो अनूठी पहल शुरू हुई है वह अन्य गांवों के लिए भी अनुकरणीय बनेगा।
यह कार्य जिला पंचायत राज अधिकारी हिमांशु शेखर ठाकुर के नेतृत्व में, ग्राम पंचायत कोठा में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेस-2, योजना अंतर्गत मॉडल गांव विकसित किए जाने के निमित्त किया गया है। ग्राम पंचायत में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्रबंधन हेतु रिसोर्सेज रिकवरी सेंटर का निर्माण ग्राम पंचायत द्वारा कराया गया है। जिसमें 18 कंसलटिंग इंजीनियर की टीम के द्वारा, रिकवरी सेंटर के निर्माण में तकनीकी पहलुओं की जानकारी के साथ निर्माण में प्रयोग की जा रही अलग-अलग प्रकार के कूड़े के संबंध में जानकारी, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के द्वारा प्रदान की गई है। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के अंतर्गत जिले में अन्य 75 ग्राम पंचायतों को भी अलग से तकनीकी सहयोग देकर वहां भी रिकवरी सेंटर का निर्माण किया जाएगा।
पांच अन्य का निर्माण लगभग पूर्ण हो चुका है जिसका लोकार्पण बहुत शीघ्र होगा। जिला पंचायत राज अधिकारी ने बताया कि जिन ग्राम पंचायतों में रिसोर्स रिकवरी सेंटर का निर्माण प्रारंभिक स्टेज पर है, उन सभी रिसोर्स रिकवरी सेंटर में सभी मानकों का पालन करते हुए निर्माण कराया जा रहा है। निर्माण के समय भविष्य में सेंटर का सदुपयोग किए जाने एवं कंफर्ट एबिलिटी का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। जिससे अधिक मात्रा में सदुपयोग हो सके। 75 ग्राम पंचायतों में व्यापक स्तर पर बड़े रिसर्च रिकवरी सेंटर का निर्माण कराया जाना है। साथ ही छोटी ग्राम पंचायतों में भी छोटे वाले मॉडल का निर्माण शीघ्र ही कराकर, ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस की कैटेगरी में लाते हुए मॉडल गांव विकसित किया जाना है।
मॉडल गांव विकसित किए जाने के संबंध में उन्होने बताया कि “डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन” एवं एग्रीगेशन और उसका ट्रांसपोर्टेशन, साथ ही में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट पर भी काम किए जाने की ठोस योजना, जिले के द्वारा बनाई जा चुकी है। प्रारंभिक चरण में 4 विभिन्न विकास खंडों की ग्राम पंचायतों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का निर्माण कराया जाएगा। जिसकी लागत प्रति इकाई 16लाख है। पांच हजार से अधिक आबादी वाली ग्राम पंचायतों की कार्य योजना तैयार करा ली गई है। इससे कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों की योजना ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार की जा रही है। जिसको शीघ्र ही शासन को स्वीकृति हेतु प्रेषित करके योजना पर अमल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत कोठा में जो प्रदेश का पहला केंद्र है, वह अंबेडकर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा संचालित होगा। जो महिला सशक्तिकरण और उन्हें रोजगार से जोड़ने का भी बड़ा माध्यम बनेगा। 75 ग्राम पंचायतों को मॉडल गांव विकसित किए जाने के निमित्त 34 करोड़ 79 लाख 96 हजार 5 सौ 96 रुपए की धनराशि निर्गत की गई है। ग्राम पंचायतों द्वारा पीएफएमएस के माध्यम से इनका भुगतान किया जाता है। वहीं ग्राम पंचायतों के सिंगल नोडल अकाउंट में अभी भी और शेष पड़े हैं 22करोङ, 70 लाख 79 हजार 1 सौ 99 रुपये।जबकि ग्राम पंचायतों द्वारा अब तक 12 करोड़ 9 लाख 12 हजार 3 सौ 97 रुपए ही खर्च किए जा चुके हैं।