बेबसीः पीपल के पेड़ पर दिख रही हैं “मौत की मटकियां”…

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गोरखपुर (जनमत) :- वैश्विक महामारी कोरोना ने कितनों को असमय ही मौत की नींद सुला दिया है. किसी को आक्‍सीजन नहीं मिली  तो किसी को बेड और वेंटिलेटर. किसी को आईसीयू बेड नहीं मिलने से सड़क पर ही दम तोड़ना पड़ा. शहर से लेकर गांव तक मौत का मातम पसरा हुआ है. इस बेबसी के बीच एक बात हर पीडि़त परिवार को एक-दूसरे से जोड़ती है कि उन्‍होंने परिवार के किसी अपने को खोया है. यही वजह है कि जिन पीपल की छाव और चबूतरे के नीचे बैठकर कुछ माह पहले तक हम लंबी सांसे लेकर गप्‍पे लड़ाते रहे हैं. वहीँ अब मौत की मटकियों में लटके नज़र आ रहें हैं….

आपको बता दे इस मह्मारी में कई  परिवारों ने जैसे-तैसे अपनों की लाशों का अंतिम संस्‍कार कर दिया. ये नजारा गोरखपुर के हड़हवा फाटक रोड से कृष्‍णानगर के बीच का है. यहां पर पीपल के पेड़ पर ढेर सारी मटकियां लटकी हुई नजर आ रही हैं. ये मटकियां इस बात की गवाह भी हैं कि परिवार ने किसी अपने को खोया है. आमतौर पर इन पेड़ों पर एकाध मटकी ही लटकी नजर आती रही है. वैसे तो इसके चबूतरे पर बैठकर लोग अक्‍सर सु‍बह-शाम गप्‍पे भी लड़ाया करते रहे हैं. लेकिन, आज वैश्विक महामारी कोरोना 2.0 के बीच आक्‍सीजन की कमी और सांस फूलने के बाद अस्‍पतालों से लेकर सड़क तक पर लोगों ने दम तोड़ दिया.

जिसके बाद हिन्‍दू रीति-रिवाज के अनुसार किसी ने तेरहीं, किसी ने सोलहा तो किसी ने आर्य समाज रीति से क्रियाकर्म कर दिया. लेकिन, असमय हुई परिवार के सदस्‍य की मौत के बाद अधिकतर लोगों ने आत्‍मा की शान्ति  के लिए हिन्‍दू धर्म के रीति-रिवाज के अनुसार संस्‍कार पूर्ण किया. इस दौरान जब त‍क क्रियाकर्म चलता है, हर दिन पीपल के पेड़ पर मटकी टांगने और उसमें नीचे की ओर एक सुराख कर पानी भर दिया जाता है. हिन्‍दू धर्म में मान्‍यता है कि पीपल के पेड़ पर देवता का वास होता है. यही वजह है कि आत्‍मा की शांत‍ि के लिए मटकी टांगी जाती है.  इसपर पंडित  बताते हैं‍ कि आक्‍सीजन की कमी की वजह से कोरोना पीडि़त लोगों की मौत हो रही है. अस्‍पतालों में बेड नहीं मिल पा रहा है. आक्‍सीजन और सुविधा नहीं‍ मिलने से मौतें काफी हो रही है. सनातन धर्म में क्रियाकर्म में आत्‍मा की शांति के लिए मटकियां पीपल के पेड़ में टांगी जाती थी. आज शहर में किसी भी पीपल के पेड़ पर 15 से 20 मटकियां टंगी मिल जाएंगी.  जो कि इस महामारी कि भयावहता समझने के लिए काफी है.

PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL….