अयोध्या(जनमत):- वर्तमान में ज्ञानवापी मस्जिद की चर्चा के बीच एक और मुद्दा है जो तेजी से चर्चा में आ गया है और वह है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट यानी पूजा स्थल कानून। इस मुद्दे को लेकर अयोध्या के तपस्वी छावनी के जगद्गुरु परमहंस आचार्य एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार परमहंस दास ने पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पूजा स्थल अधिनियम 1991 को समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने पत्र में कहा है कि अंग्रेजों के शासनकाल में बने कानून को समाप्त कर देश की जनता के हितों को ध्यान में रखकर कानून में संशोधन करवाया जाए, जिससे समान आचार संहिता गोरक्षा, जनसंख्या नियंत्रण आदि राष्ट्र हित के विषयों को कानूनी जामा पहनाया जा सके।
प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र की जानकारी देते हुए तपस्वी छावनी के जगद्गुरु परमहंस दास ने कहा कि कांग्रेस के समय में पूजा स्थल अधिनियम 1991 बना था उसको समाप्त करने के लिए आज धन्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है और हमने अमान किया कि इस अधिनियम को तत्काल समाप्त किया जाए इसके साथ ही अंग्रेजो के द्वारा भी बनाए गए कानून को समाप्त करके और जनता का ध्यान रखते हुए राष्ट्रहित का ध्यान रखते हुए जनसंख्या कानून समान नागरिक संहिता गौ रक्षा जैसे कानूनों को बनाने की आवश्यकता है क्योंकि जिस प्रकार से आबादी बढ़ रही है या देश के लिए घातक और चिंताजनक है|
इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून भी जल्द से जल्द बनना चाहिए समान नागरिक संहिता भी जल्द ही लागू हो सो गई कहां की पूर्व में एक बार कांग्रेस ने गौ रक्षा को लेकर गोलियां चलवा दी थी। इसलिए अब आवश्यक है कि एक बार फिर से संविधान में संशोधन किया जाए।उन्होंने कहा कि 1991 अधिनियम के संविधान की बदलाव को लेकर बताया कि जो मानसिकता मुगलों की रही है वहीं मानसिकता कांग्रेस की भी रही है और कांग्रेस भी कहीं ना कहीं से भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात करती रही है।
कांग्रेस इस तरह का ही बर्ताव करता रहा है। यह कानून 1991 अधिनियम बनाया गया था 1947 के पहले जो धर्म स्थल जैसे हैं वह यथावत रहेंगे। इसलिए यह आवश्यक है जिनको आक्रांताओं और आतंकवादियों के द्वारा ऐतिहासिक धर्म स्थलों को तोड़ा गया था और यदि जांच होने के बाद यह साबित होता है कि यह धर्म स्थल किसका है तो यह जो बीच में ब्रेकर आ रहा है पूजा अस्थल अधिनियम 1991 इस को तत्काल हटाने की आवश्यकता है।