प्रतापगढ़ (जनमत) :- यूपी के प्रतापगढ़ जिले में अपनी वजूद की लड़ाई लड़ रहें धनगर समाज के लोग जहाँ एक तरफ मौजूदा सरकार से निराश हैं वहीँ दूसरी तरफ प्रशासन के प्रमाण पत्र न जारी करने के रवैये से कहीं कहीं आहत भी हैं. इसी कड़ी में धनगर समाज के लोग 1 दिसंबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं. दरअसल एसडीएम और तहसीलदार की लापरवाही के चलते धनगर समाज के लोग प्रमाण पत्र से वंचित हो गएँ हैं, जो की उनका मौलिक अधिकार भी हैं. वहीँ प्रशासन की इस लापरवाही के कारण ही धनगर प्रमाण पत्र समाज के लोगो को प्रमाण पत्र जारी नहीं हो पा रहें हैं. जिसके चलते मौजूदा ठंड में समाज के लोगो का पारा नाराजगी की वजह से चढ़ गया है.
इसी के चलते इस ठंड के मौसम में सैकड़ों की संख्या में धनगर समाज के लोगों ने धरना प्रदर्शन किया और मौजूदा एसडीएम और तहसीलदार के खिलाफ इस दौरान जमकर धनगर समाज के लोगों ने नारेबाजी कर प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर अपनी मांगे रखी. इस दौरान भारी भीड़ एकजुट हो गयी जिसके चलते प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है.जिससे शान्ति व्यवस्था कायम रहे.
वहीँ दूसरी तरफ अपने हक की लड़ाई के लिए धनगर समाज के लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुएं हैं और प्रशासन इसपर किसी प्रकार का कोई स्पष्ट जवाब देता फिलहाल नज़र नहीं आ रहा है.जिसकी वजह से जहाँ एक तरफ धनगर समाज का वर्ग कहीं न कहीं मुख्य धारा में आने से वंचित हो रहा है बल्कि संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का भी एक तरह से हनन हो रहा है, जो कि किसी भी समाज के लिए न्याय संगत प्रतीत नहीं होता है.
इस धरने में शामिल सुषमा पाल ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि भारी संख्या में हमारे समाज को लोग इस ठंड के मौसम में अपना काम काज और परिवार को छोड़कर विगत 20 दिनों से धरना प्रदर्शन कर रहें हैं लेकिन प्रशासन के कानो में जू तक नहीं रेंग रही है, न ही कोई हमसे मिलने ही आया है, इससे प्रशासन की कार्यशैली और लचर व्यवस्था को समझा जा सकता है. वहीँ हमारी प्रशासन और सरकार से मांग है कि प्रमाण पत्र जारी करने की दिशा में उचित कदम उठायें नहीं तो व्यापक स्तर पर ये धरना होगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी प्रशासन और सरकार की होगी.
वहीँ हैरान करने वाली बात ये रही कि डॉ नितिन बंसल, जिलाधिकारी, प्रतापगढ़ के द्वारा इस बाबत दिनांक – 08-12-21 को आदेश भी जारी किया गया है. इसके बावजूद एसडीएम और तहसीलदार के द्वारा धनगर प्रमाण पत्र की दिशा में प्रशासन द्वारा कोई कदम न उठाना भी प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर सवालिया निशान जरूर खड़ा कर रहा है.
हालाँकि ये साफ़ है कि अगर समाज के पात्र व्यक्तियों का जाती प्रमाण पत्र समय रहेंते जारी नहीं होता है तो ये एक तरह से लोगो के भविष्य से खिलवाड़ ही कहा जाएगा. जो की संविधान द्वारा दिए गएँ मौलिक अधिकारों का हनन प्रतीत होता है.
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL..
REPORT- VIKAS GUPTA…