लखनऊ(जनमत):- सीएए और एनआरसी के विरोध में लखनऊ में 19 दिसंबर को मचाई गई तबाही की आग ने पूरे प्रदेश को कमोबेश अपने आगोश में ले लिया था। हालांकि समय रहते योगी सरकार के सख्त निर्देश के बाद सक्रिय हुई सूबे की पुलिस ने न सिर्फ प्रदेश को जलने से बचा लिया बल्कि लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के आरोपी सैकड़ो दंगाइयों को चिन्हित कर जेल की सलाखों के पीछे ठूस दिया। इतना ही नहीं विरोध के नाम पर आगजनी कर सरकारी और निजी सम्पत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए आरोपियों के घर में जिला प्रशासन के द्वारा नोटिस भी भेजी जा रही है। साथ ही हुक्मरानों के द्वारा दावा किया जा रहा है कि आरोपी दंगाइयों से ही हर – हालत में क्षति पूर्ती की जाएगी। ये तो रही दंगाइयों को गिरफ़्तारी और उनसे भरपाई की बात।
इस पूरे घटनाक्रम में जो सबसे बड़ा नाम निकला है और जिसके बारें में कहा जा रहा है कि इसी संगठन के सक्रिय सदस्यों ने लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में दंगा भड़काने के लिए काफी समय पहले ही ताना – बाना बुन लिया था। बस इंतजार था सही समय का और सीएए – एनआरसी के रूप में सही समय भी आ गया जब इसके विरोध के नाम पर पथराव, आगजनी, फायरिंग और तोड़फोड़ कर दंगाई अपने मंसूबो में कामयाब भी हो गए। इसी संगठन के द्वारा प्रदेश को आग के हवाले करने की साज़िश रची गई थी इसका भी खुलासा तब हुआ जब लखनऊ पुलिस ने वसीम, नदीम और असफाक नाम के तीन शख्स को गिरफ्तार किया। पुलिस ने दावा किया कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इण्डिया संगठन के सक्रिय सदस्य वसीम, नदीम और असफाक ने बहुत ही पहले इस तरह करने का खाका तैयार कर लिया था। दावा यह भी किया गया कि यही वह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इण्डिया यानि कि पीएफआई नाम का संगठन ने जिसने लखनऊ समेत पूरे प्रदेश को झुलसाने की कोशिश की थी। पुलिस ने पीएफआई के गिरफ्तार सदस्यों के पास से भारी मात्रा में ऐसे भड़काऊ साहित्य और अन्य दस्तावेजी सामग्री बरामद किये जिससे यह धर्म विशेष की भावनाओं को बरगला और भड़का रहे थे।
अब जब यह साफ हो गया कि पीएफआई ही वह संगठन है जिसने लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के अमन और चैन को बिगाड़ने की कोशिश की। इसके बाद यह भी सवाल उठने लगा है कि क्या पीएफआई को सिमी यानि की स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इण्डिया की तरह प्रतिबंधित किया जायेगा। सिमी का जिक्र यहाँ पर इसलिए करना उचित था कि यह भी एक ऐसा संगठन था जिसमे धर्म विशेष के लोग ही सक्रिय सदस्य थे। इस संगठन का नाम देशद्रोही गतिविधियों में तब सामने आया देश के अलग – अलग हिस्सों में कई ऐसी आतंकी घटनाएं हुई जिसमे सिमी के ही सदस्यों का सीधे तौर पर इन्वॉल्मेंट था। बाद में सुरक्षा एजेंसियों की ओर से लखनऊ समेत पूरे प्रदेश के कई जनपदों में सिमी के एक – एक सदस्यों की धरपकड़ हुई थी और इस संगठन को पूरी तरह से नेस्तनाबूत करते हुये वर्ष 2001 इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
धर्म के नाम पर उकसाने और भड़काने के लिए अब एक बार पीएफआई नाम के संगठन ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कही पीएफआई और सिमी का मकसद एक ही तो नहीं या फिर सिमी के ही स्लीपिंग मॉड्यूल तो इस संगठन के पीछे नहीं है। अब ऐसे में एक बार फिर से सवाल उठने लगा है कि क्या पीएफआई को भी सिमी की तरह देश में प्रतिबंधित किया जायेगा। हालांकि सूत्र यही बताते है कि सरकार ने पीएफआई और इसकी गतिविधियों को पूरी तरह से ख़त्म करने के लिए इसको प्रतिबंधित करने की कागजी तैयारी शुरू कर दी है।
Posted By:- Amitabh Chaubey