लखनऊ (जनमत):- कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने “जिम्मेदार कौन” अभियान में केंद्र सरकार द्वारा कोरोना से सम्बंधित आंकड़ें छिपाने और आकंड़ों की बाजीगरी करने पर महत्वपूर्ण सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आंकड़ों को अपनी छवि बचाने के माध्यम की तरह क्यों प्रस्तुत करती है? क्या इनके नेताओं की छवि, लाखों देशवासियों की जान से ज्यादा महत्वपूर्ण है? सही आंकड़ें अधिकतम भारतीयों को इस वायरस के प्रभाव से बचा सकते हैं। आखिर क्यों सरकार ने आंकड़ों को प्रोपेगंडा का माध्यम बनाया न कि प्रोटेक्शन का?
प्रियंका गाँधी ने कुछ उदाहरणों को रखते हुए केंद्र सरकार से जिम्मेदारी लेने की मांग की है और कहा कि सरकार को इसका जवाब देना होगा| उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरू से ही कोरोना वायरस से हुई मौतों एवं कोरोना संक्रमण की संख्या को जनसँख्या के अनुपात में दिखाया मगर टेस्टिंग के आंकड़ों की टोटल संख्या बताई। आज भी वैक्सीनेशन के आँकड़ों की टोटल संख्या दी जा रही है आबादी का अनुपात नहीं और उसमें पहली व दूसरी डोज़ को एक में ही जोड़कर बताया जा रहा है। ये आंकड़ों की बाज़ीगरी है।
प्रियंका गाँधी ने देश के वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों द्वारा उठाये गए सवालों पर केन्द्र सरकार से जवाब माँगा है। उन्होंने कहा कि आखिर क्यों *वैज्ञानिकों द्वारा बार-बार मांगने के बावजूद कोरोना वायरस के बर्ताव एवं बारीक अध्ययन से जुड़े आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया गया? जबकि इन आँकड़ों को सार्वजनिक करने से वायरस की गति और फैलाव की जानकारी ठीक तरह से होती और हज़ारों जानें बच सकती थीं? प्रियंका गाँधी ने कहा कि जागरूकता का साधन बनाने की बजाय सरकार ने आँकड़ों को बाज़ीगरी का माध्यम बना डाला।
Posted By:- Amitabh Chaubey