बलरामपुर(जनमत):- मुझ पर ही ज़ुल्म हुआ, मेरे पति की हत्या का प्रयास किया गया, मेरे पति को बेरहमी से पीटा गया और हमारे ही बेगुनाह ज़ख़्मी पति और पिता को जेल भेज दिया गया यह कैसा इंसाफ़ है? मेरे पिता ने तो शान्ति व्यवस्था बनाए रखने में अहम रोल अदा किया प्रशासन का सहयोग किया और मेरे ही पिता के ख़िलाफ़ प्रशासन ने फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज कर के उन्हें जेल भेज दिया यही इंसाफ़ है? क्या क़ानून पर विश्वास रखने वालों को यही सज़ा मिलती है? मगर प्रशासन को शायद यह नहीं पता कि झूठ की बुनियाद बहुत दिनों तक नहीं टिकती और न ही झूठ की जीत होती है मगर सच हमेशा मज़बूती के साथ कामियाब भी होता है और झूठ के चेहरे को बेनक़ाब भी करता है।
यह दर्द भरे जुमले पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर की पुत्री, बसपा नेत्री “ज़ेबा रिज़वान” ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहे। ज़ेबा रिज़वान ने एसपी के द्वारा पूर्व सांसद रिज़वान ज़हीर को अपराधी और हिस्ट्रीशीटर कहे जाने पर सख़्त नाराज़गी का इज़हार करते हुए कहा कि मेरे पिता पर कोई आपराधिक मुक़दमा नहीं है जो भी मुक़दमे थे सभी न्यायालय से ख़त्म हो चुके है और अदालत ने मेरे पिता को मुक़दमों में क्लीन चिट दे रक्खी है उसके बावजूद एसपी ने मेरे पिता की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जो निन्दनीय और दुःखद है। ज़ेबा रिज़वान ने यह भी कहा कि मैं चुनाव जीत रही हूँ तो फ़िर मैं बूथ को क्यों डिस्टर्ब करूँगी। उन्हों ने यह भी कहा कि हमारे परिवार का इतिहास है कि जब हम सत्ता में थे उस समय भी हमने कभी किसी बूथ या चुनाव के दौरान कभी कोई असंवैधानिक कृत्य नहीं किया तो अब तो स्थितियां हमारे विपरीत हैं। ज़ेबा ने कहा कि हमें लोकतंत्र पर भरोसा है और जनता के प्यार और विश्वास पर भरोसा है हम चुनाव जीत रहे हैं।
ज़ेबा रिज़वान ने अपने पिता रिज़वान ज़हीर के गिरफ़्तारी की निन्दा करते हुए कहा कि कई थानों की फ़ोर्स और पूरी बटालियन के साथ मेरे बेगुनाह पिता को पुलिस ने इस तरह घर मे घुस कर गिरफ्तार किया मानो वह कितने बड़े अपराधी हो? मेरे पिता एक बीमार है उनके साथ पुलिस का सलूक न सिर्फ़ असंवैधानिक रहा बल्कि निन्दनीय भी है। मैं पूछती हूँ की मेरे पिता को किस जुर्म में और क्यों गिरफ़्तार किया गया? मेरे पिता को जब पता चला कि मेरे पति और उनके दामाद रमीज़ नेमत की हत्या हो गई है तब मेरे पिता घटना स्थल पर पहुंचे और पहले स्थिति को सामान्य किया शांति व्यवस्था बनी रहे इसके लिए मेरे पिता ने भीड़ को समझा बुझा कर हालात को क़ाबू में किया और प्रशासन का इंतेज़ार करते रहे कि अधिकारी मौके पर आएं और उन्हें स्थिति से अवगत कराया जाए मगर दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि अधिकारियों का व्यवहार निन्दनीय रहा। अन्त में ज़ेबा रिज़वान ने कहा कि हमें न्यायालय पर पूरा विश्वास है और हम क़ानूनी लड़ाई में इंशा अल्लाह ज़रूर जीतेंगे। ज़ेबा ने अपने समर्थकों से सब्र करने की बात कहते हुए पिता और पति के लिए दुआ और प्रार्थना की अपील भी की।
Posted By:- Amitabh Chaubey
Reported By:- Gulam Nabi