कानपुर/जनमत। मौसम में बदलाव होते ही छोटे बच्चों पर इसका सबसे ज्यादा असर होता है। फीवर, खांसी, जकड़न व पेटदर्द के रूप में संक्रमण बच्चों को परेशान करता है। लेकिन ऐसी स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है। पहले स्वंय उसका उपचार करे। फीवर होने पर बच्चों के शरीर पर कम कपड़े रखे। अधिक बुखार होने पर गीले कपड़े से शरीर को पोछे। यह विशेष जानकारी कानपुर के फेमस चाइल्ड स्पेशलिस्ट डाॅक्टर अजय बाजपेयी ने खास मुलाकात में दी। उन्होनें परिजनों को चेताया कि बीमारी आने पर पुराने लिखे पर्चो की दवाईयां या फिर पड़ोसी मेडिकल स्टोर की सलाह से बचे। वरना यह बच्चे के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
बातचीत के दौरान उन्होंने बच्चों को डाॅक्टर तक पहुंचाने से पहले आप क्या उपचार कर सकते है इस पर खास जानकारी दी।
चिकित्सक ने बताया कि अगर छोटे बच्चों को फीवर आता है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। सबसे पहले बच्चे अगर अधिक कपड़े पहने है तो उसे कम करे। उसकी बाॅडी में हवा लगे इतना ही कपड़ा शरीर पर रहने दे। अक्सर बुखार आने पर अनजाने में बच्चे को सेफ करने के लिए अधिक कपड़ा पहना देते है।
बुखार में करें गीले कपड़े से पट्टी
चाइल्ड रोग विशेषज्ञ ने बताया कि फीवर का तापमान अधिक होने पर घबराने की आवश्कता नहीं है। सबसे पहले बच्चे के कपड़े उतारकर साफ पानी में नीट एंड क्लीन कपड़ा गीला करे और फिर निचोड़कर पूरे शरीर को पोछे। लगातार यह क्रम चलाने से तापमान में गिरावट आना तय है। अक्सर माताएं गलती करती है कि गीले कपड़े की पट्टी सिर्फ सिर पर रखती है। अगर आप यह गलती करती है तो फीवर घटने के चाॅस कम ही होते है।
बीस मिनट करें बाॅडी पोछने का काम
डाॅक्टर बाजपेयी ने बताया कि अगर आप बुखार कम करने के लिए गीली पट्टी का उपयोग कर रहे है तो उसका समय भी बीस मिनट निर्धारित है। इसके बाद पट्टी रखना बंद कर दें। राहत मिलते ही चिकित्सक से सलाह लेकर उपचार करे।
शरीर पोछने में सादे पानी का करे प्रयोग
उन्होंने बताया कि माताएं बच्चों की गीले कपड़े से पट्टी करने के दौरान इस बात का विशेष ख्याल रखे कि जिस पानी का प्रयोग कर रही है। वह बिल्कुल नार्मल होना चाहिए। फीवर का प्रकोप देखकर ठंडे पानी का उपयोग बिल्कुल न करे। वरना स्थिति खराब हो सकती है। हां अगर बच्चा कांप रहा है तो पानी को हल्का गुनगुना कर सकते है।
बीमारी में न खाएं बच्चे तो न हो परेशान
फीवर या फिर किसी भी परेशानी में बच्चें या फिर बड़े कोई भी हो सबसे पहले खाना छोड़ते है। या एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। परेशानी होने पर खाना ठीक नहीं लगता। ऐसे में माताएं इस बात के लिए बिल्कुल परेशान न हो। बच्चे का फीवर या फिर जो भी परेशानी है जैसे ही वह कम होगी बच्चा स्वंय ही खाना प्रारंभ कर देगा। खाने से अधिक दवाई पर फोकस करे।
बच्चे का तापमान जरूर करे चेक
डाॅक्टर बाजपेयी ने बताया कि अक्सर फीवर आने पर परिजन छूकर बुखार तय कर लेते है। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। अगर फीवर महसूस होता है तो थर्मामीटर का उपयोग करे। इतना हीं नहीं उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि मेजर के लिए संभव हो तो डिजटल थर्मामीटर उपयोग में लाएं।
पुराने पर्चों की दवाईयां और मेडिकल स्टोर से बचे
उन्होने बताया कि अक्सर बीमारी आने पर परिजन पुराना दवा का पर्चा खोजने लगते है। लेकिन यह पूरी तरह गलत है। हर बीमारी का लक्ष्ण अलग होता है। चिकित्सक चेकअप के बाद दवाईयां लिखता है। इसलिए डाॅक्टर की सलाह वाली दवाईयां ले। पड़ोस के मेडिकल स्टोर की दवा का अंदाज से प्रयोग न करे।
तरल खाने को दे प्राथमिकता
विशेषज्ञ ने बताया कि बच्चे को आराम होते ही खाने पर फोकस करे। लेकिन इस दौरान इस बात का विशेष ध्यान रखना है कि बच्चे को खाने में तरल पदार्थ दे। जिससे वह आसानी से हजम कर ले। ठोस पदार्थ बीमारी के बाद अचानक पेट में पहुंचने से परेशानी हो सकती है। स्थिति नार्मल होते ही सामान्य रूटीन पर आ जाएं।
SPECIAL REPORT – ABHILASH BHATT
PUBLISHED BY – MANOJ KUMAR