लखनऊ (जनमत):- यूपी की राजधानी लखनऊ में राजस्व विभाग से सम्बन्धित विषयों की शासन स्तर पर विभागीय समीक्षा की गयी जिसके दौरान परिलक्षित हुआ है कि राजस्व परिषद उ0प्र0 के निर्देशन में संचालित परियोजना- रियल टाइम खतौनी / अंश निर्धारण/ खसरा आदि को ऑनलाइन करना तथा घरौनी कार्य की प्रगति अत्यन्त चिन्ताजनक है। इन योजनाओं का समय-सीमा के भीतर पूर्ण किया जाना प्रत्येक दशा में आवश्यक है राजस्व परिषद उ0प्र0 के अधीनस्थ न्यायालयों की समीक्षा के दौरान प्रकाश में आया कि राजस्व न्यायालयों में योजित लम्बित वादों की संख्या 20 लाख प्रदर्शित हो रही है जो कि बहुत ही अधिक है। उ0प्र0 राजस्व संहिता, 2006 की धारा-24, 34, 80, 89, 98, 101 के अन्तर्गत योजित होने वाले राजस्व वादों के निस्तारण में काफी विलम्ब हो रहा है। उ0प्र0 राजस्व संहिता, 2006 की धारा-101 के अन्तर्गत किये जाने वाले भूमियों के विनिमय हेतु विनिमय दर निर्धारित करने में भी शिथिलता हो रही है।
इसी के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम सभा की आरक्षित श्रेणी की कतिपय भूमियों पर अत्यन्त गरीब व भूमिहीन लोगो के अवैध आवासी कब्जे के भी मामले संज्ञान में आये हैं इन गरीबो व भूमिहीनों के पास अन्य आवासीय भूमि नहीं है। जनपदों में राजस्व / माल अभिलेखागार मैनुअली संचालित हो रहे हैं जिससे उनमें संचित महत्वपूर्ण व पुराने राजस्व अभिलेखों के पारदर्शितापूर्ण व सुरक्षित रख-रखाव में काफी कठिनाइयां उत्पन्न हो रही है राजस्व परिषद, मण्डलायुक्त कार्यालय, जिलाधिकारी कार्यालय, उपजिलाधिकारी कार्यालय, तहसील कार्यालय में अपनी समस्याओं के निस्तारण हेतु जनमानस द्वारा विभिन्न माध्यमों से शिकायतें दर्ज करवाई जाती है किन्तु उनके निस्तारण में विलम्ब होने के कारण शिकायतकर्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। समीक्षा के पश्चात विधिवत् विचारोपरान्त शासन द्वारा निम्नवत् निर्देश दिये जा रहे है:-
1- रियल टाइम खतौनी / अंश निर्धारण / खसरा आदि को ऑनलाइन करने का कार्य दिसम्बर तक पूर्ण कर लिया जाय। घरौनी कार्य की प्रगति अत्यन्त चिन्ताजनक है। इसे प्रत्येक दशा में प्रत्याशित समय सीमा केभीतर पूर्ण किया जाय। 3- यह सुनिश्चित कर लिया जाय कि तहसील में स्थित प्रत्येक राजस्व न्यायालय नियमित रूप से संचालित हों और सप्ताह में न्यूनतम 04 दिन प्रत्येक दशा में अवश्य संचालित हों । 4- राजस्व संहिता की धारा 24, 34 एवं 80 आदि के अन्तर्गत लम्बित मामलों की समीक्षा करकेइनको शीघ्र निस्तारित कराया जाय।
राजस्व न्यायालयों में योजित लम्बित वादों की संख्या 20 लाख प्रदर्शित हो रही है। प्रत्येक दशा में इसे कम किया जाय। 05 वर्ष से अधिक लम्बित मामलों की सुनवाई दिन-प्रतिदिन करके 01 माह के भीतर निस्तारित कराया जाय, जो मामले 01 वर्ष से अधिक की अवधि से लम्बित है उनकी सुनवाई 01 दिन के अन्तराल पर की जाय एवं उन्हें भी 01 माह के भीतर निस्तारित कराया जाय। (1) धारा-24 के अन्तर्गत वादों के निस्तारण हेतु 03 माह का समय निर्धारित है किन्तु प्रकरण निस्तारमा में आशातीत ला नहीं मिल रही 1-24 के लम्बित प्रक के निस्तारण के सम्वन्ध में विशेष ध्यान जाब और यदि आवश्यता हो तो 03 माह की निर्धारित समय-सीमा को कम करने हेतु नियमों में संशोधन कराया जाय। चूंकि वर्तमान में नाप की जियो टैगिंग की सुविधा के कारण नाप की प्रक्रिया आसान हो गयी है।
(ii) म्यूटेशन ( नामान्तरण) के वादों को ऑटो मोड़ पर लाया जाय और इसके निस्तारण हेतु निर्धारितसमय सीमा को भी घटाया जाय। (iii) धारा-24, 34, 80, 89, 98, 101 के तहत कार्यवाही को शीघ्र पूर्ण कराया जाय और इसके लिए निर्धारित अधिकतम समय सीमा को और कम किया जाय। यदि आवश्यक हो तो नियमों में संशोधन कराया जाय।(iv) धारा 80 के लिए प्राधिकरणों से अनापत्ति प्राप्त होने में अप्रत्याशित विलम्ब होता है। अतः प्राधिकरणों को अवगत करा दिया जाय कि धारा 80 के तहत कार्यवाही हेतु अपनी अनापति शीघ्र दें। यदि वे अनापति नहीं देते तथा उनको इस भूमि की आवश्यकता है तो इस भूमि का अर्जन करें। (v) धारा-101 के तहत विनिमय हेतु सर्किल दर अथवा बाजार दर में जो अच्छा / अधिक हो उसे लियाजाय।
7- आरक्षित श्रेणी की भूमि पर अवैध अध्यासी गरीब एवं भूमिहीन लोगों को अन्यत्र बसाने की व्यवस्था की जाय।8- अभिलेख कक्ष को शीघ्रातिशीघ्र डिजिटाइज किया जाय। 9- जन शिकायतों का पारदार्शिता एवं समय-सीमा के भीतर गुणवत्तापूर्ण निस्तारण किया जाय।इस सम्बन्ध में यह कहने का निदेश हुआ है कि उपरोक्त निर्देशों के क्रम में अपेक्षित कार्यवाही – ससमय पूर्ण कराना सुनिश्चित किया जाय। उपर्युक्त बिन्दुओ की पाक्षिक समीक्षा सम्बंधित जिलाधिकारी द्वारा करते हुए आख्या राजस्व परिषद् उत्तर प्रदेश को उपलब्ध कराई जाएगी तथा राजस्व परिषद् उ0प्र0 द्वारा उक्त समीक्षा का मासिक विवरण शासन को उपलब्ध कराया जाएगा।
PUBLISHED BY:- ANKUSH PAL…