कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी की हुई शुरुआत

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अलीगढ़ (जनमत):- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हो चुकी है।जेएन मेडिकल कॉलेज में पहला ट्रायल है। प्लाज्मा थेरेपी में जो लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करते हैं। उनके प्लाज्मा को दूसरे मरीजों से ट्रांसफ्यूजन के माध्यम इंजेक्ट करके इलाज किया जाता है। जिसका आईसीएमआर भी क्लीनिकल ट्रायल चला रही है। तो सेंटर के लोगों ने भी डिसाइड किया कि हम भी इसका ट्रायल करें। ऐसा पहला पेशेंट दो दिन पूर्व भी ट्रीट किया है। प्लाजमा थेरेपी में जो पेशेंट पहले कोविड-19 से सफर कर चुके हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जेएन मेडिकल कॉलेज में कोविड-19 के मरीजों के उपचार के लिए प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत हो चुकी है। अभी इसका जेएन मेडिकल कॉलेज में पहला ट्रायल है। प्लाज्मा थेरेपी में जो लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करते हैं। उनके प्लाज्मा को दूसरे मरीजों से ट्रांसफ्यूजन के माध्यम इंजेक्ट करके इलाज किया जाता है। इस तकनीक में एंटीबॉडी का इस्तेमाल होता है। जो किसी भी व्यक्ति के बॉडी में किसी वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ बनता है। इसी एंटीबॉडी को मरीज के शरीर में डाला जाता है। ऐसे में एक मेथड से जो व्यक्ति ठीक हुआ रहता है। ठीक वही मेथड दूसरे मरीज पर कार्य करता है। और दूसरा मरीज भी ठीक होने लगता है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में एक 72 वर्षीय एक कोविड-19 मरीज का उपचार प्लाजमा थेरेपी से शुरू किया गया है। यह उपचार दो दिन पूर्व ही शुरू किया गया है। और प्लाज्मा थेरेपी से उपचार पाने वाले ये बुजुर्ग पहले अलीगढ़ के पहले मरीज है। ये अभी ट्रायल बेस पर है। बुजुर्ग मरीज कि डॉक्टरों की एक टीम के द्वारा जांच की गई। जिसके बाद यह तय किया गया कि इनका प्लाजमा थेरेपी से उपचार किया जाए। उसके बाद दो दिन पूर्व मरीज को प्लाज्मा थेरेपी से उपचार शुरू कर दिया गया।

वहीं पूरे मामले पर जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल शाहिद अली सिद्दीकी ने बताया कि प्लाजमा थेरेपी, कोविड-19 के जो मरीज है। में खुद और हम लोग यूज कर रहे हैं। इसका आईसीएमआर भी क्लीनिकल ट्रायल चला रही है। तो हमारे सेंटर के लोगों ने भी डिसाइड किया कि हम भी इसका ट्रायल करें। हमने ऐसा पहला पेशेंट दो दिन पूर्व भी ट्रीट किया है। प्लाजमा थेरेपी में जो पेशेंट पहले कोविड-19 से सफर कर चुके हैं। और ठीक हो गए हैं। उनके शरीर से प्लाज्मा निकाल कर वो मरीज जिसको इसकी जरूरत है। उसके अंदर दो दिन के अंदर इंजेक्ट किया जाता है। इसमें पहले से बनी हुई एंटीबॉडीज होती है। और एंटीबॉडी उस पेशेंट की इम्युनिटी को इनक्रीस करने में हेल्प करते हैं। जिसकी वजह से उस पेशेंट की रिकवरी जल्दी और आसान होने के चांस रहते हैं। यह अभी इसका ट्रायल चल रहा है। अभी हम यह नहीं कह सकते कि इसका सक्सेस रेट क्या रहेगा या नहीं रहेगा।

Posted By:-Ajay Kumar