लखनऊ (जनमत):- देश की राष्ट्रीय राजधानी से लेकर प्रदेश की राजधानी भी इन दिनों भीषण वायू प्रदूषण की मार झेल रही है। अगर बात राजधानी लखनऊ की हो तो यहाँ का वायू प्रदूषण दिल्ली से भी बहुत ज्यादा है। यहाँ के हालात अब कुछ ऐसे हो गए है कि सड़क तो सड़क घर के अंदर भी लोग प्रदूषण की मार झेल रहे है।
विकट होती समस्या पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीन दिन तक सभी तरह के सरकारी और गैर सरकारी निर्माण पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे । साथ ही निर्देशों का उलंघन करने वाली फर्म को ब्लैक लिस्टेड करने की भी बात कही गई थी। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश के बाद प्रदेश का पॉल्यूशन बोर्ड के साथ ही लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद ने भी सीएम के आदेशों की अवहेलना करने पर कई इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की।
अब जरा इन तस्वीरों पर गौर कीजिये। यह लखनऊ में आशियाना के सनराइज अपार्टमेंट के सामने ट्रांसपोर्ट नगर रोड स्थित नाले के निर्माण का नजारा है। यहाँ सीएम योगी के निर्देशों को दरकिनार कर तेजी से निर्माण कार्य चल रहा है। अव्वल तो यह कि सीएम के निर्देशों को अनदेखा कर यहाँ पर ठेकेदार मनमानी तरीके से काम करा रहा है साथ ही न तो यहाँ पर सामग्री को ढका गया है और न ही इस पर पानी का छिड़काव किया गया है। यह बात तो रही मुख्यमंत्री योगी के निर्देशों को अनदेखा कर ठेकेदार की मनमानी की ।
मौके पर पहुंच कर जब हमारे संवाददाता ने पड़ताल की तो निर्माण सामग्री में भी बड़ा घपला पकड़ में आ गया। दरअसल लखनऊ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत इस नाले का कार्य अमित इंटरप्राइजेज फर्म के द्वारा कराया जा रहा है और फर्म को तकरीबन 81 लाख रूपये का ठेका एलडीए द्वारा दिया गया है। ठेकदार अमित त्रिपाठी नाले के मरम्म्मत में जो सामग्री इस्तेमाल कर रहा है वह बेहद घटिया किस्म की है। ईट की बात की जाये तो निर्माण में मानक के अनुरूप अव्वल ईटें का इस्तेमाल किया जाना होता है लेकिन यहाँ पर सीधा खंजर ईट का इस्तेमाल किया जा रहा है।
इतना ही नहीं मौरंग की जगह यहा पर डस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है जो बेहद ही घटिया किस्म की है। मुख्यमंत्री योगी के आदेशों को दरकिनार कर यहाँ पर निर्माण किया जाना और निर्माण में भी घटिया किस्म की सामग्री इस्तेमाल होना बड़े भ्रस्टाचार की ओर इशारा करता है। सूत्रों की माने तो मामला प्राधिकरण के अधिकारियों के संज्ञान में है लेकिन ठेकेदार से मिलीभगत होने के चलते वह चुप्पी साध हुए है।
कहा तो यह भी जा रहा है कि काम के एवज में प्राधिकरण के भ्रस्ट अधिकारियों ने फर्म के मालिक से मोटी रकम वसूली है यही वजह भी कि वह सब कुछ जानकार भी वह अंजान बने हुए है। महकमे के अधिशाषी अभियंता आनंद मिश्रा से जब इन दोनों मुद्दों पर बात की गई तो उनका जवाब भी कम हैरान कर देने वाला नहीं था। आनंद मिश्रा के मुताबिक मामला उनकी संज्ञान में जरूर है और फर्म के ठेकेदार को ऐसा न करने के लिए मौखिक रूप से कह भी दिया गया है।
(मजदूर अनिल)
कार्रवाई करने की जगह फर्म पर मेहरबानी अपने आप में ही तमाम सवाल खड़ा कर रहा है। साथ ही प्राधिकरण के अधिकारी और ठेकेदार मुख्यमंत्री योगी की उस मुहिम को भी ठेंगा दिखा रहे है जिसमे उनके द्वारा लगातार भ्रस्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस पर काम करनी की बात कही जाती रही है।
Posted By:- Amitabh Chaubey/Anoop Chaudhary