लखनऊ (जनमत):- पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल की 01 मई 1969 को स्थापना हुई थी। इसी कड़ी में लखनऊ मण्डल की 54वीं स्थापना दिवस के अवसर पर एतिहासिक विवरण इस प्रकार है। अवध तिरहुत रेलवे, असम रेलवे और बॉम्बे बड़ौदा एंड सेंट्रल इंडिया रेलवे के फतेहगढ़ जिले के क्षेत्रों का विलय कर पूर्वोत्तर रेलवे का गठन किया गया। जिसका उदघाटन 14 अप्रैल 1952 को भारत के प्रथम प्रधान मंत्री पं0 जवाहर लाल नेहरू द्वारा किया गया। इसकी सीमायें पश्चिम में आगरा के निकट अछनेरा से लेकर पूर्व में पश्चिम बंगाल की सीमा-रेखा के निकट “लीडो” तक फैली थीं। पूर्वोत्तर रेलवे के गठन के समय गोण्डा जिला कार्यालय की स्थापना की गई जिसके अंतर्गत पश्चिम में कानपुर अनवरगंज से लेकर पूर्व में भटनी जंक्शन तक का कार्यक्षेत्र था। 15 जनवरी 1958 को इसे दो क्षेत्रों – उत्तर पूर्व सीमान्त रेलवे तथा पूर्वोत्तर रेलवे में विभाजित कर दिया गया। पूर्वोत्तर रेलवे का मुख्यालय गोरखपुर बनाया गया, जिसमें पांच मण्डल यथा-इज़्ज़तनगर, लखनऊ, वाराणसी, समस्तीपुर एवं सोनपुर थे।
सन् 1958 में गोण्डा स्थित जिला कार्यालय को दो भागों में विभक्त किया गया -एक गोंडा जिला कार्यालय एवं दूसरा लखनऊ स्थित लखनऊ जिला कार्यालय। कालांतर में 1 मई 1969 को लखनऊ मंडल का गठन हुआ एवं इसका मुख्यालय लखनऊ को बनाया गया। जिसके प्रशासनिक प्रमुख, प्रथम मंडल अधीक्षक एम0 एल0 गुप्ता थे।पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल का गठन 1 मई 1969 को उत्तर प्रदेश के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में स्थित मीटर गेज की विभिन्न शाखाओं को समाहित करके किया गया था । लखनऊ मंडल दोहरी गेज प्रणाली का मंडल है, इस मंडल पर मीटर गेज खंड 226 मार्ग किलोमीटर है, जबकि बड़ी लाइन 1393 किलोमीटर है यह मंडल उत्तर प्रदेश के पूर्वी और उत्तरी क्षेत्र के 14 जिलों को रेल मार्ग से जोड़कर क्षेत्र के समग्र विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है ।
यह क्षेत्र भारत की सांस्कृतिक विरासत एवं धार्मिक उद्भव के केंद्र के रूप में विख्यात रहा है । इस मंडल के परिक्षेत्र में श्रावस्ती, देवीपाटन, गोरखनाथ, अयोध्या, नैमिषारण्य, लुंबिनी, कपिलवस्तु ,लखनऊ तथा मगहर अवस्थित है । इसी क्षेत्र में दुधवा राष्ट्रीय अभ्यारण्य तथा कतर्नियाघाट नेशनल पार्क भी आता है, जो भौगोलिक विविधता तथा वन्यजीवों के कारण पर्यटको के विशिष्ट आकर्षण का केंद्र है। पर्यटन के दृष्टिगत प्रकृति प्रेमियों तथा रेल यात्रियों के लिए मंडल द्वारा इसी वर्ष जनवरी माह में मैलानी- बिछिया प्रखंड पर वातानुकूलित टूरिस्ट कार का संचालन आरम्भ किया गया है। लखनऊ मंडल अपनी सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ कृषि और वन संपदा से मालामाल है इस मंडल में 19 चीनी मिले हैं। इस मंडल से लदान की जाने वाली वस्तुओं में खाद्यान्न, चीनी, गन्ना, वन उत्पादन, उर्वरक, नमक, खली, भूसा आदि प्रमुख हैं ।
लखनऊ मंडल यात्री उन्मुख प्रणाली होने के कारण उत्तर प्रदेश के लोगों को विश्वसनीय यातायात सेवा उपलब्ध कराता है और साथ ही इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। भारत – नेपाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा के निकट अवस्थित मंडल के विभिन्न स्टेशनों यथा नेपालगंज रोड, बढ़नी, नौतनवा आदि के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों तथा नेपालवासियों को ट्रेन द्वारा एक विश्वसनीय यातायात का साधन उपलब्ध है। यह मंडल पड़ोसी देश नेपाल की माल परिवहन की आवश्यकताओं की भी पूर्ति करता है। इसीलिए लखनऊ मंडल को ’नेपाल का प्रवेश द्वार’ भी कहतें हैं।
इस क्षेत्र में कुछ महत्वपूर्ण अविरल बहती नदियां गोमती, सरयू, शारदा, घाघरा, राप्ती एवम धर्म और आस्था की प्रतीक पवित्र गंगा शोभा बढ़ाती है। गंगा, गोमती, सरयू जैसी प्रमुख नदियां इस रेलवे प्रणाली को अनेक स्थानों पर काटती हुई जाती हैं। यह रेलवे विभिन्न नदियों पर बने अपने पुलों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें से प्रत्येक पुल इंजीनियरी का उत्कृष्ट नमूना है।
मंडल में स्थित महत्वपूर्ण ऐतिहासिक रेलवे पुल
’एल्गिन ब्रिज’ पुल संख्या 39रू यह पुल घाघरा नदी पर बना है , जो कि चौका घाट – घाघरा घाट के मध्य है। 17 खम्भों से युक्त इस पुल की लंबाई 3404 फ़ीट है। इसका नामकरण भारत के 9वे वायसराय लॉर्ड एल्गिन के नाम पर किया गया तथा इसका शुभारंभ 25 जनवरी 1899 को हुआ था ।
’राप्ती ब्रिज’ पुल संख्या 184रू वर्ष 1885 में राप्ती नदी पर निर्मित यह पुल सहजनवा-जगतबेला के मध्य स्थित है। ’शारदा ब्रिज’ पुल संख्या 97रू शारदा नदी पर निर्मित, भीराखेरी-पलियाकला कलां के मध्य रेल कम रोड ब्रिज 1910 में बन कर तैयार हुआ। 2011 तक इसमें रेल एवं सड़क मार्ग साथ- साथ थे, उसके उपरांत रेल और सड़क मार्ग अलग-अलग कर दिया गया ।
पुल संख्या 59रू कतर्निया घाट व कौड़ियाला घाट के मध्य सन 1970 में घाघरा नदी के ऊपर निर्माण किया गया। ’सरयू ब्रिज ’पुल संख्या 18रू सरयू नदी पर निर्मित , कटरा – अयोध्या के मध्य स्थित इस पुल का उद्घाटन 7 फरवरी 2004 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई जी द्वारा किया गया।
वाष्प युग
स्वतंत्रता के स्वर्ण जयंती वर्ष में भारतीय रेल के शानदार वाष्प युग की यादगार धरोहर के रूप में तथा मंडल की विकास यात्रा का साक्षी इंजन संख्या 2616 वाईपी पूर्वोत्तर रेलवे , लखनऊ मंडल कार्यालय परिसर में दिनांक 5 सितंबर 1997 को स्थापित किया गया । इसके साथ ही गोण्डा तथा गोरखपुर स्टेशन परिसर मे हमारे “हेरिटेज इंजन” लोक दर्शन के लिए अवस्थित है।
डीजल युग की शुरुआत
दिनाक 02 नवंबर 1972 को लखनऊ मण्डल में सर्वप्रथम 2डाउन अवध तिरहुत मेल का संचालन वाईडीएम 4 क्लास डीजल लोकोमोटिव द्वारा किया गया। सन् 1982 में डीजल शेड गोंडा की स्थापना की गई जहॉ डीजल इंजन के अनुरक्षण का कार्य शुरू किया गया।
इलेक्ट्रिक लोको का आगमन
26 अगस्त 2016 को मण्डल के लखनऊ-गोरखपुर खंड पर 12554 वैशाली एक्सप्रेस इलेक्ट्रिक इंजनॅ।च्4 22246 (ब्छठ) द्वारा संचालित की गयी। गोरखपुर स्टेशन से पहली इलेक्ट्रिक ट्रेन 22 नवम्बर 2016 को गाड़ी संख्या 15027/28 मौर्या एक्सप्रेस चलाई गई । लखनऊ मंडल में मेमू ट्रेन का संचालन लखनऊ जंक्शन से बाराबंकी के मध्य एवं वापसी में किया जाता है । डेमू ट्रेन का संचालन गोरखपुर-गोंडा लूप लाइन पर किया जाता है ।
मीटर गेज-
लखनऊ मंडल की पहली मीटर गेज ट्रेन का संचालन लखनऊ – सीतापुर के मध्य 15 नवंबर 1886 को हुआ । सीतापुर-लखीमपुर के मध्य प्रथम रेल संचालन 15 अप्रैल 1887 को हुआ । लखीमपुर-गोला गोकर्णनाथ के मध्य प्रथम रेल संचालन 19 दिसंबर 1887 को हुआ । गोला गोकर्णनाथ – पीलीभीत के मध्य प्रथम रेल संचालन 01 अप्रैल 1891 को हुआ ।
प्रोजेक्ट यूनिगेज
21 अप्रैल 1973 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री, श्रीमती इंदिरा गांधी ने गोरखपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन पर बाराबंकी-समस्तीपुर के मध्य 587 किलोमीटर के एमजी से ब्रॉड गेज आमान परिवर्तन कार्य हेतु आधारशिला रखी।
वर्ष 1981 में गोरखपुर छावनी से मल्हौर तक एमजी से बीजी ट्रैक आमान परिवर्तन कार्य (262 किलोमीटर) को 6 महीने की रिकॉर्ड अवधि में पूरा किया गया था, उसी वर्ष यानी 08 जुलाई 1981 को ब्रॉड गेज यातायात हेतु खोला गया था। वर्ष 1981 में बाराबंकी-मल्हौर खंड को मीटर गेज से बीजी आमान परिवर्तन के पश्चात उक्त खण्ड का नियंत्रण उत्तर रेलवे को सौंप दिया गया था। वर्ष 1984 में मल्हौर-डालीगंज-लखनऊ एमजी सिंगल लाइन खंड (20 किमी) को बड़ी लाइन में आमान परिवर्तित किया गया तथा 01 जनवरी 1984 को बीजी यातायात के लिए खोला गया।
आमान परिवर्तन के बाद भी लखनऊ जंक्शन स्टेशन पर कुछ महत्वपूर्ण मीटर गेज गाड़ियों का संचालन होता रहा। 07 जनवरी 1992 तक लखनऊ जं. के प्लेटफार्म संख्या 3-6 से लखनऊ जंक्शन – कानपुर अनवरगंज के मध्य तथा ऐशबाग- कानपुर अनवरगंज के मध्य वाया ऐशबाग-अमौसी मीटर गेज बाईपास के माध्यम से मीटर गेज ट्रेनों का संचालन हुआ। 07 जनवरी 1992 को लखनऊ जं.-कानपुर मीटरगेज खंड को बीजी आमान परिवर्तन हेतु बंद किया गया।
06 जून 1994 को बुढवल से सीतापुर के मध्य (98 किलोमीटर) को एमजी से बीजी में आमान परिवर्तित किया गया था, जिससे पूर्वोत्तर तथा पश्चिम क्षेत्र के मध्य सुदृढ़ संपर्क मार्ग स्थापित हो गया। 26 दिसंबर 2008 को गोरखपुर-आनंदनगर खंड एवं नौतनवां ब्रांच लाइन के मध्य (82 किलोमीटर) एमजी से बीजी आमान परिवर्तन कार्य आरम्भ किया गया। 15 अक्टूबर 2009 को गोरखपुर से आनंदनगर और नौतनवॉ ब्रांच लाइन को आमान परिवर्तन के बाद बीजी यातायात के लिए खोला गया।
01 जनवरी 2012 को आनंदनगर-बढ़नी एमजी खण्ड (72 किलोमीटर) को बीजी आमान परिवर्तन हेतु बंद कर दिया गया तथा उक्त खण्ड पर आमान परिवर्तन कार्य 18 दिसम्बर 2012 को रिकॉर्ड 12 महीने में पूरा हुआ। वर्ष 2014 में बढनी-गोंडा के मध्य एमजी से बी.जी आमान परिवर्तन कार्य दो भागों में किया गया। दिनांक 15 फरवरी 2014 को बढनी-बलरामपुर के मध्य (69 किलोमीटर) और दो माह के पश्चात 15 अप्रैल 2014 को बलरामपुर-गोंडा (40 किलोमीटर) एमजी से बीजी आमान परिवर्तन कार्य प्रारम्भ किया गया । वर्ष 2015 में गोंडा से बढ़नी के मध्य 31 जुलाई 2015 को बीजी ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया।
वर्ष 2016 में दो एमजी सेक्शनों – ऐशबाग-मैलानी खण्ड (193 कि.मी ) दिनांक 15 मई 2016 को ऐशबाग-सीतापुर खण्ड तथा दिनांक 01 जुलाई 2016 को गोण्डा-बहराइच खण्ड (60.34 कि.मी) तथा 15 अक्टूबर 2016 को सीतापुर – मैलानी खण्डपर बीजी आमान परिवर्तन हेतु रूट बन्द किया गया। दिनांक 09 नवम्बर 2018 को गोण्डा-बहराइच खण्ड पर बीजी आमान परिवर्तन पूर्ण हुआ तथा दिनांक 09 जनवरी 2019 को ऐशबाग-सीतापुर खण्ड एवं 28 अगस्त 2019 को सीतापुर-लखीमपुर खण्ड तथा 14 फरवरी 2020 को लखीमपुर – मैलानी खण्ड का बीजी आमान परिवर्तन पूर्ण हुआ।
सिग्नल प्रणाली
वर्तमान में पुरानी ’लीवर फ्रेम सिगनलिंग कार्यप्रणाली, मंडल के बहराइच-मैलानी मीटर गेज खंड पर क्रियाशील है। ’सेमाफोर सिगनल’ जिसमें लैंप (केरोसिन) द्वारा प्रकाशित विभिन्न रंगों के चलायमान शीशे द्वारा उत्पन्न अलग-अलग रंगों के माध्यम से सिगनल प्रदान किया जाता था । वर्तमान में यह प्रणाली लखनऊ मंडल के मीटर गेज सेक्शन में क्रियाशील है। मीटर गेज सेक्शन पर ब्रिटिश काल से प्रचलित ’नेल्स टोकन बॉल’का इस्तेमाल किया जा रहा है।
लखनऊ मंडल कि तिथिवार महत्वपूर्ण उपलब्धियां, भारतीय रेल मे सर्वप्रथम
3 जुलाई 2015 को भारत की सर्वप्रथम सुविधा ट्रेन 05027/05028 गोरखपुर-आनंद विहार को गोरखपुर से चलाया गया । एलएचबी (स्भ्ठ) कोच से युक्त देश की सबसे पहली हमसफर एक्सप्रेस गोरखपुर- आनंद विहार के मध्य 16 दिसम्बर 2016 को चलाई गई । 04 अक्तूबर 2019 को देश की सबसे पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस लखनऊ से नई दिल्ली के मध्य चलाई गई । 1 अप्रैल 1955 को तत्कालीन कैबिनेट मंत्री सी.बी.गुप्ता द्वारा डाउन अवध तिरहुत मेल (लखनऊ से कटिहार) मे रेलवे की सर्वप्रथम वातानुकूलित ट्रेन सेवा का उद्घाटन किया गया ।
पूर्वोत्तर रेलवे की प्रथम डीजल रेल कार सेवा का शुभारंभ तत्कालीन वित्त मंत्री उत्तर प्रदेश श्री हफीज़ मोहम्मद इब्राहिम द्वारा 1 अगस्त 1957 को कानपुर-ब्रह्मवर्त प्रखंड पर किया गया था। विश्व का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म मंडल के गोरखपुर जंक्शन पर स्थित है । इस प्लेटफार्म की लंबाई 1366.33 मीटर (रैम्प सहित) है। इसका उद्घाटन 06 अक्टूबर 2013 को हुआ था तथा जिसका उल्लेख “ लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड” में दर्ज है । पूर्वोत्तर रेलवे की सर्वप्रथम डबल डेकर ट्रेन 12584/83 26 अप्रैल 2015 को आनंद विहार-लखनऊ जंक्शन के मध्य चलाई गई ।
22 नवम्बर 2015 को पूर्वोत्तर रेलवे का पहला स्वचलित सीढ़ियाँ (Escalator) गोरखपुर जंक्शन पर आरंभ किया गया । वर्ष 2010 में लखनऊ जंक्शन तथा गोरखपुर जंक्शन मे कैब वे सुविधा का शुभारम्भ हुआ । सितम्बर 2015 मे पूर्वोत्तर रेलवे मे लखनऊ मण्डल द्वारा सर्वप्रथम वे (Web) आधारित क्लीन माई कोच (क्लीन माई कोच) सेवा का शुभारंभ किया गया। वर्तमान में लखनऊ मण्डल के सभी ब्राड गेज प्रखण्डों पर दिनांक 20 फरवरी 2022 को शतप्रतिशत विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो गया है।
दोहरीकरण परियोजना के अंतर्गत दिनांक 03 मार्च 2023 को डालीगंज-मल्हौर स्टेशनों के मध्य किमी 13.00 रेल खंड का दोहरीकरण एवं नई विद्युतकर्षण लाइन युक्त पूर्ण किया गया। मंडल की शतप्रतिशत (33 जोड़ी) ट्रेनों में ’लिनेन’ की सुविधा प्रदान की जा रही है।मंडल में ओबीएचएस के अंतर्गत 28 जोड़ी ट्रेनों में सुविधा प्रदान की जा रही है।
हिमालय की तलहटी में स्थित मैलानी-दुदवा क्षेत्र के लोगों एवं दुदवा नेशनल पार्क जाने वाले पर्यटकों की सुविधा के लिये मीटर गेज खंड पर पर्यटक कोच युक्त मैलानी-बिछिया सवारी गाड़ी का शुभारम्भ किया गया। मण्डल में ’कर्मचारी कल्याण’ हेतु कार्यरत रेलवे कर्मचारियांे के वेतन, स्थापना, रेलवे आवास तथा स्वास्थ्य संबंधी परिवादों के त्वरित एवं पारदर्शी निस्तारण हेतु मण्डल के आई.टी. केन्द्र द्वारा ’सुगम‘( Staff Unified grievance Addressing Mechanism) माड्यूल तैयार किया गया।
मण्डल में रेल मदद’ एवं ट्विटर पर प्राप्त यात्री परिवादों जैसे स्टेशनों एवं टेªनों में साफ-सफाई, विद्युत आपूर्ति, लगेज/पार्सल संबंधी, चिकित्सा सहायता, समय पालन, महिला यात्री सुरक्षा, सामान चोरी आदि से संबंधित दर्ज शिकायतों के त्वरित निस्तारण किया जा रहा है।
रेल कर्मियों को चिकित्सा लाभ देने के लिए निदान, पायनियर, प्रामिला डायग्नोटिक सेन्टर में शारीरिक जॉच हेतु तथा अपोलो हास्पीटल ,चन्दन हास्पीटल, चन्द्रा मदर एण्ड आई केयर हास्पीटल, चरक हास्पीटल, के.के हास्पीटल तथा मेडिकल केयर में कैशलेस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा दी गयी है।
यातायात की दृष्टि से गोण्डा में यार्ड रिमाडलिंग के लिए नॉन इंटर लाकिंग का कार्य दिनांक 17 मई 2022 से प्रारम्भ होकर दिनांक 08 जून 2022 को पूर्ण किया गया गोण्डा स्टेशन पर वर्तमान में 10 रनिंग लाइन (स्टेशन पर 6 तथा गुड्स यार्ड में 04 लाइन) से बढ़कर 18 रनिंग लाइन (स्टेशन यार्ड मे 9 तथा गुड्स यार्ड में 09 लाइन हो गयी है, जिससे सवारी गाड़ियों के तीव्र गति से संचलन एवं मालगाड़ियों के अनुरक्षण क्षमता में भी वृद्धि होगी।
रेल मंत्रालय द्वारा देशभर में 10 भारत गौरव पर्यटक ट्रेन के माध्यम से आई.आर.सी.टी.सी द्वारा बड़े पैमाने पर समूह यात्रा को बढ़ावा देने की योजना के अर्न्तगत एल.एच.बी. कोच आधारित ’गुरूकृपा टूरिस्ट ट्रेन का शुभारम्भ किया चुका है। भारत गौरव ट्रेनें भारतीय रेल की टूरिस्ट सर्किट ट्रेनें हैं, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिकता और प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर नगरों के दर्शन कराती हैं। भारत गौरव ट्रेनों से स्थानीय एवं क्षेत्रीय पयर्टन को बढ़ावा मिलेगा। हमारे पर्यटन स्थलों तथा भारत गौरव को लोकप्रिय बनाने के लिये भारत सरकार की ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत‘ एवं ‘देखो अपना देश‘ योजना के अन्तर्गत भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम (आई.आर.सी.टी.सी) ने मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, तिरुपति बालाजी मंदिर (तिरुपति), रामनाथ स्वामी मंदिर (रामेश्वरम), मीनाक्षी मंदिर (मदुरै), कन्याकुमारी के स्थानीय दर्शनीय स्थल के लिये भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन द्वारा ‘दक्षिण भारत यात्रा‘ 10 रात्रि एवं 11 दिनों के लिये 30 अप्रैल, 2023 को गोरखपुर से चलाई गयी।
वर्तमान व भविष्य के बढ़ते यातायात की दृष्टिगत कुसम्ही जंगल से डोमिनगढ़ तक तथा बुढ़वल से गोण्डा तक तीसरी ब्राड गेज लाइन का निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा हैं सीतापुर- बुढ़वल के मध्य दोहरीकरण परियोजना के अंतर्गत सुंढियामऊ से बुढ़वल के मध्य ब्राड गेज कार्य अन्तिम पड़ाव पर है।
लखनऊ मंडल में ’’अमृत भारत स्टेशन योजना’’ के तहत पहले चरण में 30 रेलवे स्टेशनों को कटरा, मनकापुर, मोहिबुल्लापुर, सिधौली, आनन्दनगर, नौतनवां, बभनान, मगहर, बिसवां, जरवलरोड़, बुढवल, करनैलगंज, महमूदाबाद (अवध), बस्ती, खलीलाबाद, सिद्धार्थनगर, सीतापुर, तुलसीपुर, बलरामपुर, लखीमपुर, बढ़नी, स्वामीनारायण छपिया, रामघाट हाल्ट, बहराइच, गोला गोकर्णनाथ, मैलानी, ऐशबाग, लखनऊ सिटी, बादशाह नगर एवं डालीगंज स्टेशनों को अपग्रेड कर उनका नवीनीकरण किया जाएगा।
गोमतीनगर स्टेशन परियोजना के पुनर्विकास कार्यो के क्रम में नॉर्थ टर्मिनल बिल्डिंग, वाणिज्यिक ब्लॉक (त्1 तथा त्2) का सिविल फ्रेमिंग कार्य 99 प्रतिशत पूर्ण कर लिया गया है, फिनिशिंग कार्य जैसे रूफिंग, फ़्लोरिंग, अग्निशमन व्यवस्था इत्यादि का कार्य भी तेजी से चल रहा है। आवागमन फ्लाईओवर के 25 प्रतिशत कार्य को पूरा कर लिया गया है। गोमतीनगर स्टेशन पर विश्वस्तरीय यात्री सेवाओं, आधारभूत संरचनाओं के विकास तथा स्टेशन परिसर की समरूपता की कार्ययोजना की रूप रेखा को तय समय सीमा दिसंबर 2023 तक पूर्ण किया जाना है।