लखनऊ (जनमत):- 19 दिसंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता कानून और एनआरसी के विरोध में हुए उग्र प्रदर्शन के दौरान आगजनी, तोड़फोड़ और पथराव की घटना पूरी तरह से सुनियोजित थी। इसके लिए काफी तैयारियां की गई थी और पिछले कई दिनों से इस पर काम चल रहा था।
लखनऊ में 19 दिसंबर की घटना को अंजाम देने के लिए पीएफआई नाम के एक संगठन की सबसे बड़ी भूमिका थी। इसी संघटन के सक्रिय सदस्यों ने ताना – बाना बुना और विरोध के नाम पर भीड़ में शामिल होकर तोड़फोड़, आगजनी और पथराव किया। यह खुलासा लखनऊ के कप्तान कलानिधि नैथानी ने संगठन के तीन हार्डकोर सदस्यों वसीम, नदीम और अशफाक को गिरफ्तार करने के बाद किया है।
कलानिधि के मुताबिक पीएफआई संगठन देश के 13 राज्यों में सक्रिय है। इस संगठन के लोग लखनऊ और उत्तर प्रदेश के कई अन्य जनपदों में अपनी सक्रियता को बढ़ाने में लगे थे। जिसके चलते 19 दिसंबर को इनके द्वारा लखनऊ में इस तरह की घटना को अंजाम दिया गया। आरोपियों के कब्जे से काफी संख्या में भड़काऊ साहित्य के साथ ही अन्य सामग्री भी बरामद हुई है।
हालांकि संगठन गुपचुप तरीके से लखनऊ और इसके आस पास अपनी सक्रियता बढ़ाता रहा और लखनऊ पुलिस को इसकी भनक भी नहीं लगी। अब दावा किया जा रहा है कि ऐसे ही संगठन के लोगों ने लखनऊ में आग लगाईं थी। बता दे कि अभी तक कुल 39 मुक़दमे दर्ज हुए है। इनमे से 6 मुकदमें 19 दिसंबर के पहले के थे। दर्ज मुकदमो में उपद्रवियों को गिरफ्तार करने का सिलसिला लगातार जारी है।