जनमत (लखनऊ) 04 दिसम्डॉबर 2024:- राम मनोहर लोहियाआयुर्विज्ञान संस्थान के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (पीएमआर) ने निदेशक प्रोफेसर सी0एम0सिंह, के कुशल एवं गतिशील मार्गदर्शन में अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया साथ ही दिव्यांगता एवं उसके पुनर्वास के बारे में जन जागरूकता बढ़ाई।इसअवसर पर लगभग 150 लोग एकत्रित हुए, जिनमें लगभग 25 दिव्यांगव्यक्ति, उनके परिवार के सदस्य, देखभाल करनेवाले औरआम लोग शामिल थे। इन रोगियों को दिव्यांगता और संभावित व्यापक पुनर्वास उपचार के बारे में शिक्षित किया गया, जिसमें न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, व्यावसायिक और अवकाशकालीन जीवन के पहलुओं को भी शामिल किया गया।उन्हें भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ-साथ गैर सरकारी संगठनों की ओर से दिव्यांगजनों के लिए उपलब्ध लाभों और सुविधाओं के बारे में भी जागरूक किया गया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वर्ष केअंतरराष्ट्रीय विकलांग दिवस के लिए निर्धारित थीम: एक समावेशीऔर टिकाऊ भविष्य के लिए विकलांग व्यक्तियों के नेतृत्व को बढ़ावा देना को ध्यान में रखते हुए, पीएमआर विभाग के प्रमुख प्रोफेसर वी0एस0गोगिया ने इस दुनिया को सार्व भौमिक रूप से सुलभ और दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाने पर जोर दिया ताकि हर कोई खुशी से रह सके और समाज में समान रूप से योगदान करने के लिए सशक्त हो सके। उन्होंने जोर दे कर कहा कि अस्पताल, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बसें, सार्वजनिक शौचालय, बैंक और ए0टी0एम0 काउंटरआदि जैसे सार्वजनिक स्थान सार्वभौमिक रूप से सुलभ होने चाहिए।भारत में लगभग 10-15% आबादी (लगभग 1.5 बिलियन में से 15-20 मिलियन ) एक या अन्य विकलांगता के साथ रहती है। उन्होंने अपने इलाज किए गए रोगियों के कई उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्होंने दिव्यांगता के बावजूद ससमय रिहैबिलिटेशन के द्वारा अपनी क्षमताओं को बढाकर, अपने पेशेवर करियर में उत्कृष्टता और नेतृत्व की भूमिकाएं हासिल की।उनमें से एक, शेखर सिंह जो पेशे से वकील हैंऔर उन्होंने अच्छी गतिशीलता हासिल की हैऔर अपने पेशेवर मामलों और संपत्तियों को लगभग स्वतंत्र रूप से देख रहे हैं।जबकि दूसरे, मोहम्मद सरीम को 2017 में 11वीं कक्षा में रहते हुए चोट लगी थी। अब वह राजनीति विज्ञान में एम0ए0 कर रहे हैं। उनका चयन बिहार सरकार के अधीन शिक्षक की नौकरी के लिए भी हुआ है।
डॉ. आरएमएलआईएमएस के पी0एम0आर विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. यशवीर सिंह ने बताया कि भारत में लगभग एक हजार पीएमआर विशेषज्ञ काम कर रहे हैं और लगभग 20 पीएमआर विशेषज्ञ उत्तरप्रदेश में काम कर रहे हैं।वर्तमान में केवल एक संस्थान पीएमआर पाठ्यक्रम में एम0डी0 प्रदान कर रहा है और उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन पांच मेडिकल कॉलेजों में पीएमआर विभाग हैं।
डॉ. सिह ने कहा कि एन0एम0सी और भारत सरकार को पीएमआर विभागऔर पीएमआर विशेषज्ञों को बढ़ाने के लिए पहल करनी चाहिए ताकि हम अपने समाज की आबादी के इस बड़े समूह को पुनर्वास प्रबंधन प्रदान कर सकें, डॉ0 यशवीर ने बताया कि भारत सरकार ने दिव्यांगता शब्द को बदलकर दिव्यांगजन करने की सकारात्मक पहल की है – जिसमें बीमारी के बजाय अंग को दिव्यता से परिभाषित किया गया है। पीएमआर विभाग में पुनर्वास सामाजिक कार्यकर्ता श्रीअमित कुमार ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारअधिनियम 2016 के प्रावधानों के बारे में श्रोताओं को जागरूक किया, जो उनके मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं और उन्हें अपनी क्षमता को पूरी तरह से प्राप्त करने और यथा संभव स्वतंत्र होने के लिए समान अवसर प्रदान करते हैं, अपनी अक्षमताओं को क्षमताओं के साथ संतुलित करते हुए क्षतिपूर्ति करते हैं।
पीएमआर विभाग में पुनर्वास मनोवैज्ञानिक डॉसुधी कुलश्रेष्ठ ने दिव्यांग व्यक्तियों के बहु आयामी मनोवैज्ञानिक पहलुओं को संबोधित करने कीआवश्यकता पर जोर दिया। जसदीप कौर (उर्फ कैनी गोगिया), संस्थापक और प्रबंध ट्रस्टी, किक्क फाउंडेशन (समाज के वंचित तबके से संबंधित दिव्यांगों के शिक्षा औ रपुनर्वास के क्षेत्र में काम करने वाला एक गैर सरकारी संगठन ) ने दिव्यांग लोगों के लिए परिवर्तनकारी शिक्षा पर जोर दिया और उन्हें याद दिलाया कि उन्हें दिव्यांगता के नकारात्मक विचारों में इतना नहीं उलझना चाहिए कि वेअपनी क्षमताओं पर ध्यान देना भूल जाएं।उन्होंने बाधाओं को तोड़ने – पुल बनाने पर जोर दियाऔरपीएमआर के मिशन वक्तव्य – विकलांगता के बावजूद क्षमताओं को अधिकतम करना – को दोहराया।
इस अवसर पर न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर दिनकरकुल श्रेष्ठ ने भी संबोधित किया।उन्होंने नेतृत्वकी उन भूमिकाओं पर जोर दिया जो विकलांग व्यक्ति समय परपीएमआर ईलाज के साथ हासिल कर सकते हैं।उन्होंने पीएमआर टीम और इसके प्रमुख, पीएमआर विशेषज्ञ डॉक्टरों के काम काज के बारे में भी जानकारी दी।यह भी उल्लेखनीय है कि डॉ.आरएमएलआईएमएस में ईएनटी विभाग विकलांग व्यक्तियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के संबंध में 03 से 10 दिसंबर 2024 तक श्रवण दोष और विकलांगता और इसके उपचार/पुनर्वास के बारे में जागरूकता अभियान भी चला रहा है।पीएमआर विभाग विकलांग व्यक्तियों के पुनर्वास में भी सहयोग कर रहा है।प्रोफेसर गोगिया ने कहा कि पीएमआरआधुनिक (एलोपैथिक) चिकित्सा पद्धति की एक शाखा है, जिसका उद्देश्य शारीरिक अक्षमताओं या विकलांगताओं वाले लोगों की कार्यात्मक क्षमता और जीवन की गुणवत्ता को बढ़ानाऔर बहाल करना है।आधुनिक एलोपैथिक चिकित्साकी इस विशेषता का उद्देश्य आधुनिक चिकित्सा कीअन्यशाखाओं से जीवनर उपचार द्वारा जोड़े गए वर्षों में जीवन जोड़ना है (adding “life” to years)।
डॉआरएमएलआईएमएस, लखनऊ में पीएमआर विभाग उत्तर प्रदेशका एक मात्र पीएमआर विभाग है, जिसमें न्यूरोलॉजिकल रोगियों (स्ट्रोक, दर्दनाकमस्तिष्ककीचोट, रीढ़कीहड्डीकीचोट, पार्किंसनिज़्म, आदि) के लिए रोबोटिक रिहैबिलिटेशन कीसुविधा उपलब्धहै।पीएमआर विभाग विशेष रिहैबिलिटेशन क्लिनिक चलाता है, जिसमें दर्दप्रबंधन (Pain Management), बालविकलांगता (Children’s Disabilities), खेलचोटों, कार्डियो-पल्मोनरीबीमारियों, कैंसर, न्यूरो-मस्कुलो-कंकाल की स्थितियों को कवर करने वाले विशेष पुनर्वा सचिकित्सा सुविधा उपलब्ध है।प्रोफेसर गोगिया ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान परीक्षा बोर्ड की न्यूरो रिहैबिलिटेशन फेलोशिप, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन में एमडी कोर्स शुरू करने की योजना पर काम चल रहा है।इसकेअलावा राज्य में पहली समर्पित इन डोर कैंसर रिहैबिलिटेशन सुविधा शुरू करने की भी योजना बनाई जा रही है। दिव्यांग व्यक्ति डॉ.आरएमएलआईएमएस में पीएमआरओपीडी मेंफोननंबर +91-522-6692127 पर ओपीडी समय सुबह 9:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे तक संपर्क कर सकते हैं।
Reported By- Shailendra Sharma
Published By- Ambuj Mishra