लखनऊ(जनमत):- देश में जब कोरोना महामारी ने पैर पसारना शरू किया तब रेलवे का पहियाँ भी थम गया था तभी से लेकर अब तक जहाँ माहौल में काफी बदलाव आ चूका हैं वहीँ वर्तमान समय तक रेलवे ने बुजुर्ग यात्रियों को टिकट पर मिलने वाली 50% सुविधा को बंद कर रखा है जब की इस समय कोरोना के मामलों में काफी कमी आ रही है और साथ ही साथ जनजीवन सामान्य होता जा रहा है पर रेलवे कोरोना की आड़ में बुजुर्गों को रेल किराए में मिलने वाली छूट को अब तक बहाल नहीं किया है।
वही रेलवे ने ट्रेन में मिलने वाली बाकी सुविधाएं पहले की तरह बहाल कर चुकी हैं। उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन तक़रीबन 80 लाख वरिष्ठजनों की इस सुविधा पर कैंची चलाकर लगभग 182 करोड़ रुपये की बचत कर चुका है। रेलवे बुजुर्गों यात्रियों को 50%रियायती टिकट देता है। इस पर रेलवे सालाना करीब 2000 करोड़ रुपये का खर्च खुद उठाता है। कोरोना के स्टार्ट होते ही रेलवे ने ट्रेनों का संचालन बंद करने के साथ ही साथ बुजुर्गों के रियायती टिकट भी देना बंद कर दिया है। रेलवे बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि इस पाबंदी से उत्तर व पूर्वोत्तर रेलवे ने अब तक तक़रीबन 182 करोड़ रुपये की बचत कर चूका है।
वही जब दैनिक यात्री एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएस उप्पल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि रेलवे बोर्ड के सदस्यों व रेलमंत्री से रियायती टिकट की सुविधा को दुबारा शुरू करने को लेकर कई बार बात हुई लेकिन जवाब अभी तक नहीं मिला। ऐसे में आशंका है कि रेलवे इस सुविधा को पूरी तरह से बंद करने की फिराक में तो नहीं है। जब इस मामले में रेलवे के अधिकारीयों से पूछा गया तो वो खामोश रहे बस इतना बोलते हैं कि सीटों का कोटा तो दिया जा रहा है। शेष फैसला रेलवे बोर्ड को करना है। वही अगर उत्तर मध्य रेलवे के 1 वर्ष के आंकड़ों को देखे तो लगभग एक करोड़ से अधिक बुजुर्ग ट्रेनों में सफर करते हैं।
अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है की आखिरकार ये सुविधा अब रेलवे देने के मूड में भी हैं की नहीं क्योंकि मह्मारी की आड़ में जहाँ रेलवे ने इस सुविधा को बंद किया तो आज तक दोबारा से इस सुविधा को शुरू तक नहीं किया वहीँ दूसरी तरफ इससे रेलवे को करोड़ों का फायदा जरूर होता नज़र आ रहा है और बुजुर्ग यात्री अब इस सेवा का लाभ शायद ही उठा पाए ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा…