अयोध्या (जनमत):- अयोध्या धाम में रामलला को 500 वर्षों के बाद शयन के लिए पालना मिल गया है। भगवान अब पालना रूपी पलंग पर रात्रि में शयन कर रहे हैं। बकायदा अब भगवान को शयन आरती के बाद पालना रूपी पलंग पर चयन के लिए रखा जाता है फिर भगवान को एक रजाई भी उड़ाई जाती है। जिससे कि ठंड से बचत हो सके। यही नहीं भगवान का जो पालना रूपी पलंग है उसमें मखमली गद्दा और दो मशलन्द रूपी तकिया भी रखा गया है।
भगवान को मच्छरों से बचाने के लिए पालना रूपी पलंग के चारों ओर बहुत सुंदर सी मच्छरदानी भी लगाई गई है। यह सुविधा रामलला को 500 वर्षों के बाद प्राप्त हुई है। यही नहीं भगवान को ठंड से बचाने के लिए ब्लोवर का भी इंतजाम किया गया है.वही रामलला मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का कहना है की शुरुआती दौर में भगवान लकड़ी के सिंहासन पर विराजमान थे। जब रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भगवान के सिंहासन लकड़ी का हटाकर चांदी का कर दिया और भगवान चांदी के सिंहासन पर विराजमान थे। रामलला उसी चांदी के सिंहासन पर शयन भी करते थे।
लेकिन अब शयन के लिए पालना रूपी पलंग आ गया है। जिसमें रामलला रात्रि में शयन आरती के बाद चयन करते हैं.यही नहीं भगवान को ठंड में बचाने के लिए उनका स्नान गुनगुने पानी से कराया जाता है और गरम चीजों का भोग भी भगवान को लगाया जाता है। भगवान को गर्म वस्त्र भी पहनाए जाते हैं। साथ ही भगवान के लिए विशेष तरीके की रजाई भी ट्रस्ट ने उपलब्ध कराया है।